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महाराष्ट्र अंधविश्वास निर्मूलन समिति के संस्थापक-अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में आज पुणे की अदालत ने दो लोगों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई है। एम. बी. बी. एस. की पढ़ाई कर चुके डॉ. दाभोलकर ने 1982 में अंधविश्वास के विरूद्ध लड़ाई की शुरुआत की और जीवन पर्यन्त अंधविश्वास उन्मूलन के लिए अभियान चलाया। 2013 में अज्ञात तत्वों द्वारा गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। राजकमल ब्लॉग के इस विशेष अंक में पढ़ें, उनकी किताबों से कुछ खास अंश।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, राज्यसभा के सदस्य रहे अली अनवर की किताब ‘सम्पूर्ण दलित आन्दोलन : पसमान्दा तसव्वुर’ का एक अंश। जिसमें ‘दलित’ मुस्लिमों के लिए आरक्षण की जरूरत पर चर्चा की गई है। यह किताब सभी मज़हबों के दलितों के ‘दर्द के रिश्तों’ पर रोशनी डालती है।Read more
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर की जयंती पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, रंजन बद्योपाद्याय के उपन्यास ‘मैं रवीन्द्रनाथ की पत्नी’ का एक अंश। इस उपन्यास में लेखक ने यह सोचने की कोशिश की है कि रवीन्द्रनाथ ठाकुर की पत्नी मृणालिनी ने यदि कोई आत्मकथा लिखी होती तो वह उसमें क्या लिखतीं? मूलरूप से बांग्ला भाषा में लिखे गए इस उपन्यास का हिन्दी में अनुवाद शुभ्रा उपाध्याय ने किया है।
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आजादी के बाद जब देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम हुई तो भारत में रह रहे एंग्लो-इंडियन समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संविधान के अनुच्छेद-79 के तहत इस समुदाय के दो लोगों को देश की लोकसभा में और एक-एक प्रतिनिधि को हरेक प्रान्त की विधानसभा में नामजद करने का प्रावधान किया गया था। इसी प्रावधान के तहत लम्बे समय तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे हेक्टर एंगस ब्राउन की आज 29वीं पुण्यतिथि है। राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, दुनिया के एकमात्र एंग्लो इंडियन गाँव पर आधारित विकास कुमार झा के उपन्यास ‘मैकलुस्कीगंज’ का एक अंश, जिसमें उन्होंने हेक्टर एंगस ब्राउन के व्यक्तित्व के बारे में विस्तार से लिखा है।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक गीताजंलि श्री के पहले उपन्यास ‘माई’ के कुछ खास अंश। पहली रचना से ही लेखक को साहित्यिक समाज के बीच चर्चा का केन्द्र बनाने वाले इस उपन्यास में एक छोटे शहर की बड़ी-सी ड्योढ़ी में बसे एक परिवार की कहानी है। जिसमें एक मध्यमवर्गीय परिवार में औरत की ज़िन्दगी को बड़े प्रभावशाली तरीके से उभारा गया है।Read more