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Posted: January 04, 2024
लेख : मोबाइल पर उंगलियाँ घुमाते रहना भी है बीमारी?
“मैं अपने आसपास के लोगों को देखता हूँ कि वे बातचीत की शुरुआत करने के पाँच से सात मिनट के बाद उसे उन प्रसंगों से जोड़ने लग जाते हैं कि मोबाइल फ़ोन निकालकर कोई तस्वीर, लिंक या पोस्ट दिखाने की ज़रूरत पड़ जाए। कई बार वे फ़ोन पर इनबॉक्स कर देते हैं। उसके बाद वे कुछ और देखने लग जाते हैं या फिर दूसरा प्रसंग ऐसा छेड़ते हैं कि फिर मोबाइल की ज़रूरत पड़ जाए।”
मोबाइल फोन पर दिनभर उगलियाँ चलाते रहना लगभग हम सबकी एक आदत हो चली है। इसके फायदे-नुकसान पर भी अक्सर बहसें होती है। कई लोग सोशल मीडिया के नुकसानों के बारे में बताते हुए उन्हीं प्लेटफॉर्म पर विडियो/लेख आदि शेयर करते रहते हैं। वहीं कुछ लोग सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कम करने या बिलकुल नहीं करने की शपथ लेकर कुछ ही दिनों में वापस इसे इस्तेमाल करते हुए नज़र आते हैं। इन सबको देखते हुए हमारे मन में इसको लेकर कई तरह के सवाल उठते हैंं। ऐसे ही सवालों से जूझते और उनका जवाब तलाशने की कोशिश करते हुए प्रतिष्ठित मीडिया विश्लेषक और दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर विनीत कुमार
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