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Posted: July 13, 2024
संवैधानिक सेक्युलरिज्म को दरकिनार किया जाना किसकी विफलता है?
राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, राजीव भार्गव की किताब ‘राष्ट्र और नैतिकता : नए भारत से उठते 100 सवाल’ का एक अंश, जिसमें लेखक ने बताया है कि संवैधानिक सेक्यूलरवाद क्या है और इसे दरकिनार किए जाने से देश और समाज को किस तरह से हानि हो रही है। इस किताब में उन्होंने वर्तमान राजनीतिक-सामाजिक परिदृश्य से जुडे़ ऐसे ही अनेक सवालों को आसान शब्दों में समझाया है।Read more -
Posted: June 06, 2024
नीतीश कुमार ने क्यों लौटा दिए थे नरेन्द्र मोदी के भेजे हुए पाँच करोड़?
लोकसभा चुनाव के बाद बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार बहुत चर्चा में है और उन्हें एनडीए के किंगमेकर के तौर पर देखा जा रहा है। राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, उदय कांत द्वारा लिखित उनकी जीवनी ‘नीतीश कुमार : अंतरंग दोस्तों की नज़र से’ में से नीतीश कुमार एक रोचक किस्सा, जब उन्होंने बीजेपी नेताओं से लिए रखी हुई दावत को अचानक से रद्द कर दिया था।Read more -
राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, परकाला प्रभाकर की किताब ‘नये भारत की दीमक लगी शहतीरें : संकटग्रस्त गणराज्य पर आलेख’ का एक अंश, जिसमें उन्होंने देश में बढ़ती गरीबी और सरकार द्वारा उसके आंकड़ों को छुपाने के खेल पर चर्चा की है।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, धवल कुलकर्णी की किताब ‘ठाकरे भाऊ’ का एक अंश, जिसमें महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे और उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रभाव के बारे में चर्चा की गई है। इस किताब के जरिए लेखक ने इन दोनों भाइयों के राजनीतिक उतार-चढ़ाव और पहचान की महाराष्ट्रीय राजनीति का विश्लेषण प्रस्तुत किया है।Read more
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राजकमल ब्लॉग में राजनीतिक उपन्यासकार नवीन चौधरी बता रहे हैं कुछ ऐसी किताबों के बारे में जो राजनीति को भीतर से समझने में पाठकों को एक नई दृष्टि प्रदान करती हैं। हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं की इन किताबों में से कुछ उपन्यास है और कुछ कथेतर किताबें।Read more