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विश्व पर्यटन दिवस पर राजकमल ब्लॉग में कुछ घुमक्कड़ लेखकों के यात्रा-अनुभवों को बयान करती किताबों का परिचय प्रस्तुत है। इन कहानियों में बिमल दे की हिमालय की साहसिक यात्राओं से लेकर अनुराधा बेनीवाल की यायावरी-आवारगी तक शामिल हैं। प्रत्येक लेखक की यात्रा एक नई दुनिया का दरवाज़ा खोलती है।Read more
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Posted: December 11, 2023
यात्रा वृतान्त : महातीर्थ के अंतिम यात्री
चारों ओर भयंकर सन्नाटा था और उस निस्तब्ध प्रांतर में मैं अकेला प्राणी था। रात जैसे सरक ही नहीं रही थी, मुझे लग रहा था कि मैं अनंत रात्रि के बीच से गुजर रहा हूँ। धरती के कोलाहल से दूर भागकर मैं अनजान अनंत रात्रि के फंदे में अटक गया हूँ जहाँ से मैं निकल नहीं पा रहा हूँ। रात कितनी लम्बी हो सकती है यह मैं आज ही जान सका। मैं लगातार चल रहा था किन्तु ठंड भी क्रमशः बढ़ती ही जा रही थी और रात भी मानों कभी न खत्म होने वाली रात थी।
पर्वत दिवस पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, घुमक्कड़ पर्वतारोही भू-पर्यटक बिमल दे के यात्रा वृतान्त ‘महातीर्थ के अंतिम यात्री’ का एक अंश। इसमें लेखक की 15 वर्ष की उम्र में अकेले की गई ल्हासा-कैलाशनाथ-मानसरोवर यात्रा के अनुभवों का लेखा-जोखा है।
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सांपो की घाटी तक पहुँचते सांझ हो गयी थी। नदी तक पहुँचने में और एक घंटा लग गया। तब तक अंधेरा हो गया था और तारे दिखने लगे थे। रास्ता लगभग समतल