Back to Top
-
Posted: March 01, 2025
वर्तमान से बग़ावत करने वाले ही भविष्य का स्वर रचते हैं
राजकमल प्रकाशन दिवस पर आयोजित 'भविष्य के स्वर' कार्यक्रम के बारे में वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने अपना अनुभव साझा किया है। आप भी पढ़िए।
-
डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि पर राजकमल ब्लॉग में प्रस्तुत है— प्रोफ़ेसर एस. इरफ़ान हबीब द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘भारतीय राष्ट्रवाद : एक अनिवार्य पाठ’ का एक अंश जिसमें डॉ. भीमराव आंबेडकर के राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद से संबंधित विचारों को व्यक्त किया गया है।Read more
-
Posted: September 11, 2024
मुक्तिबोध और महादेवी वर्मा के विचारों का आईना
आज हिन्दी साहित्य के दो दिग्गजों— गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ और महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि है। इस अवसर पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, ‘विचार का आईना’ शृंखला के अन्तर्गत प्रकाशित उनकी पुस्तकों से ऐसे अंश जो वर्तमान समय में भी अत्यंत प्रासंगिक और विचारणीय हैं। यहाँ हमने जिन अंशों को चुना है उनमें मुक्तिबोध ने ‘जनता के साहित्य’ को अपने शब्दों में परिभाषित किया है और महादेवी वर्मा ने ‘स्त्रियों की आर्थिक स्वतंत्रता’ के संबन्ध में अपने विचार व्यक्त किए हैं। लोकभारती प्रकाशन की विशेष परियोजना ‘विचार का आईना’ शृंखला के अन्तर्गत प्रकाशित पुस्तकों में विभिन्न साहित्यकारों, चिन्तकों और राजनेताओं के ‘कला साहित्य संस्कृति’ केन्द्रित चिन्तन को सार रूप में प्रस्तुत किया गया है।Read more -
आंबेडकर जयंती के अवसर पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, अरुंधति रॉय की किताब ‘एक था डॉक्टर एक था संत’ का एक अंश। इस किताब के जरिए अरुंधति रॉय वर्तमान भारत में असमानता को समझने और उससे निपटने के लिए ज़ोर देकर कहती हैं कि हमें राजनैतिक विकास और मोहनदास करमचन्द गांधी के प्रभाव― दोनों का ही परीक्षण करना होगा। सोचना होगा कि क्यों भीमराव आंबेडकर द्वारा गांधी की लगभग दैवीय छवि को दी गई प्रबुद्ध चुनौती को भारत के कुलीन वर्ग द्वारा दबा दिया गया?
-
महात्मा गाँधी कहते हैं: “स्त्री को चाहिए कि वह स्वयं को पुरुष के भोग की वस्तु मानना बन्द कर दे। इसका इलाज पुरुष की अपेक्षा स्वयं स्त्री के हाथों में ज्यादा है। उसे पुरुष की ख़ातिर, जिसमें पति भी शामिल है, सजने से इनकार कर देना चाहिए। तभी वह पुरुष के साथ बराबर की साझीदार बन सकेगी।”