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रवीन्द्रनाथ ठाकुर की जयंती पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, रंजन बद्योपाद्याय के उपन्यास ‘मैं रवीन्द्रनाथ की पत्नी’ का एक अंश। इस उपन्यास में लेखक ने यह सोचने की कोशिश की है कि रवीन्द्रनाथ ठाकुर की पत्नी मृणालिनी ने यदि कोई आत्मकथा लिखी होती तो वह उसमें क्या लिखतीं? मूलरूप से बांग्ला भाषा में लिखे गए इस उपन्यास का हिन्दी में अनुवाद शुभ्रा उपाध्याय ने किया है।
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Posted: January 11, 2024
पुस्तक अंश : शास्त्री जी के निधन की रात ताशकन्द में क्या-क्या हुआ?
लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, उनके काफ़ी करीबी रहे जाने-माने पत्रकार और लेखक कुलदीप नैयर की आत्मकथा ‘एक ज़िन्दगी काफ़ी नहीं’ का एक अंश। इसमें शास्त्री जी के निधन की रात को ताशकन्द में हुए घटनाक्रम का विवरण है।
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Posted: November 17, 2023
ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा 'जूठन'
अगले दिन सुबह से लेकर दोपहर तक कोई चूल्हा नहीं जला था। बरसात ने फाकों की नौबत पैदा कर दी थी। जीवन जैसे पंगु हो गया था। लोग गाँव भर में घूम रहे थे, कहीं से कुछ चावल-गेहूँ मिल जाए तो चूल्हा जले। ऐसे दिनों में उधार भी नहीं मिलता। दर-दर भटककर कई लोग खाली हाथ आ गए थे। पिताजी भी खाली हाथ ही आ गए थे। उनके चेहरे पर बेबसी थी। सगवा प्रधान ने अनाज देने की शर्त भी रख दी थी। अपने किसी लड़के को सालाना नौकर रख दो, बदले में जितना अनाज चाहो ले जाओ।
ओमप्रकाश वाल्मीकि की पुण्यतिथि पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, उनकी आत्मकथा जूठन का एक अंश। इसमें बरसात के दिनों में दलित बस्तियों की दुर्दशा का वर्णन है।
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1962 के साल में खूब बारिश हुई थी। बस्ती में सभी के घर कच्ची मिट्टी से बने थे। कई दिन की लगातार बारिश ने मिट्टी के घरों पर कहर बरपा दिया था। हमारा घर जगह-जगह
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, शरद पवार की आत्मकथा 'अपनी शर्तों पर' का एक रोचक अंश जिसमें उनके राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौर का वर्णन है।