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Posted: February 27, 2025Categories: प्रेस विज्ञप्ति
राजकमल सहयात्रा उत्सव-2025
राजकमल स्थापना दिवस पर आयोजित हो रहे ‘भविष्य के स्वर’ विचार पर्व में अब तक 25 युवा प्रतिभाएँ अपने व्याख्यान दे चुकी हैं। जिन्हें बाद में अन्य मंचों ने भी विशिष्ट प्रतिभा के रूप में स्वीकार किया। ‘भविष्य के स्वर’ के वक्ताओं के तौर पर 40 वर्ष तक की उम्र की विभिन्न पृष्ठभूमियों से आनेवाली उन प्रतिभाओं को चुना जाता है जिन्होंने साहित्य समेत विभिन्न क्षेत्रों में अपने नवाचारों से सबका ध्यान खींचा है।
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Posted: February 22, 2025
लेखक होने का मतलब!
कृष्णा सोबती के संस्मरणों की शृंखला—हम हशमत (भाग-4) से एक अंश
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जहाँ हिन्दी बढ़ रही थी, वहीं उर्दू ने जन्म लिया। कहन का तरीका जो हिन्दी का था वही उर्दू का था। भावों का आरोह-अवरोह एक था। बोलनेवाले-लिखनेवाले एक जैसे थे जिनका रहन-सहन, खान-पान, जन्म-मरण, सभी क्रिया-व्यापार एक जैसे थे और एक साथ थे। केवल लिपि अलग थी।