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हिन्दी के आँचलिक कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु के एक बेहद खास मित्र थे- बृजमोहन बाँयवाला। रेणु जी उनको बिरजू नाम से बुलाते थे। वे बिरजू को अक्सर चिट्ठी लिखा करते थे। उनकी चिट्ठियाँ राजकमल प्रकाशन से ‘चिट्ठियाँ रेणु की भाई बिरजू को’ शीर्षक से एक किताब के रूप में प्रकाशित है। जिसका संकलन बिरजू बाबू के छोटे भाई विद्यासागर गुप्ता ने और सम्पादन प्रयाग शुक्ल और रुचिरा गुप्ता ने किया है। राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, विद्यासागर गुप्ता द्वारा लिखित इस किताब की भूमिका का एक अंश।Read more
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Posted: April 08, 2024
लौटकर तो आना ही था देश में भी जेल में भी
राजकमल ब्लॉग के इस अंक में पढ़ें, अशोक कुमार पांडेय की किताब 'राहुल सांकृत्यायन: अनात्म बैचेनी का यायावर' का एक अंश।
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राजकमल ब्लॉग के इस अंक में विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर पढ़ें, डॉ. यतीश अग्रवाल की किताब 'डायबिटीज के साथ जीने की राह' का अंश 'डायबिटीज क्या, क्यों और कैसे'।
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राजकमल ब्लॉग के इस अंक में पढ़ें, इरफ़ान हबीब द्वारा संपादित 'अकबर और तत्कालीन भारत' पुस्तक का एक अंश - 'अकबर के व्यक्तित्व की विशेषताएँ और उसकी विश्व-दृष्टि'।Read more
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Posted: March 30, 2024
रंग याद है : साठ सालों की दास्तान-ए-होली
बचपन में गलती से भांग घुली हुई ठंडाई पीने का किस्सा हो या अखबारों में होली के मौके पर निकलने वाले गप्प भरे चुटकियों वाले पन्ने से जुडी़ यादें… ‘रंग याद है’ शृंखला की इस कड़ी में पढ़ें, सुधा अरोड़ा की रंगयाद : “साठ सालों की दास्तान-ए-होली।" इसमें उन्होंने पिछले साठ वर्षों में देश के अलग-अलग शहरों- कोलकाता, जयपुर, इटावा, मुम्बई से बैंगलोर तक में मनाई गई होली की यादों को एक जगह समेटकर रख दिया है।Read more