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हिन्दी के आँचलिक कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु के एक बेहद खास मित्र थे- बृजमोहन बाँयवाला। रेणु जी उनको बिरजू नाम से बुलाते थे। वे बिरजू को अक्सर चिट्ठी लिखा करते थे। उनकी चिट्ठियाँ राजकमल प्रकाशन से ‘चिट्ठियाँ रेणु की भाई बिरजू को’ शीर्षक से एक किताब के रूप में प्रकाशित है। जिसका संकलन बिरजू बाबू के छोटे भाई विद्यासागर गुप्ता ने और सम्पादन प्रयाग शुक्ल और रुचिरा गुप्ता ने किया है। राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, विद्यासागर गुप्ता द्वारा लिखित इस किताब की भूमिका का एक अंश।Read more
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Posted: March 30, 2024
रंग याद है : साठ सालों की दास्तान-ए-होली
बचपन में गलती से भांग घुली हुई ठंडाई पीने का किस्सा हो या अखबारों में होली के मौके पर निकलने वाले गप्प भरे चुटकियों वाले पन्ने से जुडी़ यादें… ‘रंग याद है’ शृंखला की इस कड़ी में पढ़ें, सुधा अरोड़ा की रंगयाद : “साठ सालों की दास्तान-ए-होली।" इसमें उन्होंने पिछले साठ वर्षों में देश के अलग-अलग शहरों- कोलकाता, जयपुर, इटावा, मुम्बई से बैंगलोर तक में मनाई गई होली की यादों को एक जगह समेटकर रख दिया है।Read more -
Posted: March 29, 2024
रंग याद है : वो चौबीस कैरेट वाली होली थी
‘रंग याद है’ शृंखला की इस कड़ी में पढ़ें, शैलजा पाठक की रंगयाद : “वो चौबीस कैरेट वाली होली थी”Read more -
‘रंग याद है’ शृंखला की इस कड़ी में पढ़ें, देवेश की रंगयाद : “गोबर का घोल और खेत में बैठी आकृति”Read more
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Posted: March 28, 2024
रंग याद है : चेहरे पर लगा पेंट और भईया का थप्पड़
‘रंग याद है’ शृंखला की इस कड़ी में पढ़ें, रूपम मिश्र की रंगयाद : “चेहरे पर लगा पेंट और भईया का थप्पड़”Read more