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Posted: October 08, 2024
जेपी : एक दुविधाग्रस्त क्रान्तिकारी
जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, प्रोफ़ेसर ज्ञान प्रकाश की किताब ‘आपातकाल आख्यान : इन्दिरा गांधी और लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा’ का एक अंश जिसमें 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल के दौरान उनकी गिरफ़्तारी और जेल के दिनों का वर्णन है।Read more -
Posted: September 20, 2024
गाँवों में कैसे होता हैं दलितों का दमन?
राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, शिवमूर्ति के उपन्यास ‘अगम बहै दरियाव’ का एक अंश जिसमें गाँव के दबंगों द्वारा दलितों के दमन और उनकी बस्ती को जलाने के प्रसंग का बेहद मार्मिक वर्णन है।Read more -
Posted: September 11, 2024
मुक्तिबोध और महादेवी वर्मा के विचारों का आईना
आज हिन्दी साहित्य के दो दिग्गजों— गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ और महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि है। इस अवसर पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, ‘विचार का आईना’ शृंखला के अन्तर्गत प्रकाशित उनकी पुस्तकों से ऐसे अंश जो वर्तमान समय में भी अत्यंत प्रासंगिक और विचारणीय हैं। यहाँ हमने जिन अंशों को चुना है उनमें मुक्तिबोध ने ‘जनता के साहित्य’ को अपने शब्दों में परिभाषित किया है और महादेवी वर्मा ने ‘स्त्रियों की आर्थिक स्वतंत्रता’ के संबन्ध में अपने विचार व्यक्त किए हैं। लोकभारती प्रकाशन की विशेष परियोजना ‘विचार का आईना’ शृंखला के अन्तर्गत प्रकाशित पुस्तकों में विभिन्न साहित्यकारों, चिन्तकों और राजनेताओं के ‘कला साहित्य संस्कृति’ केन्द्रित चिन्तन को सार रूप में प्रस्तुत किया गया है।Read more -
शिक्षक दिवस पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था का बेहद करीबी और आँखों देखा हाल बताती एस. गिरिधर की किताब ‘साधारण लोग असाधारण शिक्षक’ का एक अंश। यह किताब पिछड़े इलाकों और वंचित तबकों के बीच सरकारी स्कूलों का महत्व बताने के साथ उस माहौल और परिवेश का प्रामाणिक वर्णन करती है जिसमें सरकारी स्कूलों के शिक्षक काम करते हैं।Read more
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Posted: September 01, 2024
राही मासूम रज़ा के उपन्यास ‘आधा गाँव’ का अंश
राही मासूम रज़ा की जयंती पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, उनके उपन्यास ‘आधा गाँव’ का एक अंश। यह संभवत: हिन्दी का पहला ऐसा उपन्यास है जो शिया मुसलमानों के ग्रामीण जीवन का यथार्थ सामने लाता है।Read more