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विश्व पर्यावरण दिवस पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, अनुपम मिश्र की किताब ‘बिन पानी सब सून’ से एक लेख— ‘पर्यावरण क्यों नहीं बनता चुनावी मुद्दा?’ यह लेख बीस साल पहले 2004 में लिखा गया था लेकिन आज यह उस समय से भी ज्यादा प्रासंगिक है।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, ज्ञान चतुर्वेदी के नए उपन्यास ‘एक तानाशाह की प्रेमकथा’ का एक अंश। इस उपन्यास में लेखक ने प्रेम जैसे सार्वभौमिक तत्त्व को अपना विषय बनाया है और उसे वहाँ से देखना शुरू किया है जहाँ वह अपने पात्र के लिए ही घातक हो उठता है। वह आत्ममुग्ध प्रेम किसी को नहीं छोड़ता चाहे प्रेमी के लिए प्रेमिका हो, पति के लिए पत्नी हो या शासक के लिए देश।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, परकाला प्रभाकर की किताब ‘नये भारत की दीमक लगी शहतीरें : संकटग्रस्त गणराज्य पर आलेख’ का एक अंश, जिसमें उन्होंने देश में बढ़ती गरीबी और सरकार द्वारा उसके आंकड़ों को छुपाने के खेल पर चर्चा की है।Read more
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पूर्व-प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, रशीद किदवई की किताब ‘भारत के प्रधानमंत्री’ का एक अंश, जिसमें राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से लेकर उनकी हत्या तक देश के राजनीतिक घटनाक्रम का संक्षिप्त वर्णन किया गया है।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, हिन्दी के मूर्धन्य व्यंग्य शिल्पी शरद जोशी के राजनीतिक व्यंग्यों के संकलन ‘वोट ले दरिया में डाल’ से एक व्यंग्य। इसमें उन्होंने राजनीति की कई अलग-अलग परिभाषाएँ यह समझाया है कि राजनीति की दरअसल क्या होती है?Read more