-
"कभी-कभी नैना सूरज की किरणों के सामने अपनी आँखें मूँदकर बैठ जाती है। कभी अपलक दुनिया की गतिविधियों को देखती रहती है। असल में वह आँखों से सब कुछ देखते हुए भी कुछ भी नहीं देख रही होती।"
राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, ममता सिंह के कहानी संग्रह 'किरकिरी' से उनकी कहानी 'चांदी का वर्क़'।
-
"शायद हर आदमी की ही कोई एक ऐसी प्रेमिका होती है, जिसे वह हासिल नहीं कर पाता। मजबूरियाँ, दुःख, और फिर अजनबियों के बीच बैठकर वह उसकी बात करता है।" राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, मंज़ूर एहतेशाम की कहानी 'लौटते हुए'।
-
राजकमल ब्लॉग के इस अंक में पढ़ें, असग़र वजाहत की प्रतिनिधि कहानियाँ से उनकी कहानी 'मैं हिन्दू हूँ'।
-
राजकमल ब्लॉग के इस अंक में पढ़ें, फणीश्वरनाथ रेणु की 'सम्पूर्ण कहानियाँ' पुस्तक से उनकी कहानी 'लाल पान की बेगम।'
-
राजकमल ब्लॉग के इस अंक में पढ़ें, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' के कहानी संग्रह 'चतुरी चमार' की शीर्षक कहानी।