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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, अजय नावरिया के उपन्यास 'उधर के लोग' का एक अंश। इस उपन्यास में बाजार की भयावहता, वेश्यावृत्ति, यौन-विकार, विचारधाराओं की प्रासंगिकता, प्रेम, विवाह और तलाक पर खुलकर बात की गई है।
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मेरा अनुभव बताता है, श्रीकान्त, कि आदमी के ज्ञान का दायरा ज्यों-ज्यों बढ़ता है, त्यों-त्यों उसके अज्ञान
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, भालचन्द्र नेमाडे के उपन्यास 'हिन्दू' का एक अंश। यह उपन्यास भारतीय समाज की जातीय-सांस्कृतिक संरचना का बहुआयामी आख्यान है। इसमें मोहन जोदड़ो से लेकर उन्नीसवीं-बीसवीं सदी के ग्रामीण भारत की अनेक कथाएँ दर्ज है।
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, प्यार की पीड़ादायी कथा, प्रदीप अवस्थी के उपन्यास 'मृत्यु और हँसी' का एक अंश।