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‘‘इस छल और कपट के भार को लेकर तुम कैसे सो सकोगी ? जब तक तुम अपना अपराध स्वीकार न कर लोगी, तब तक तुम्हें शान्ति न मिलेगी। तुमने जो कुछ किया है, वह पाप है, एक जघन्य पाप ! उस पाप को तुम बिना प्रायश्चित किए न धो सकोगी। आज तुमने जो कुछ कर डाला है, उसे तुम्हें प्रोफेसर को बतलाना ही होगा।’’
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Posted: August 26, 2023
वैशाली की नगरवधू बनने को क्यों मजबूर हुई आम्रपाली?
"समय पाकर रूढ़ियाँ ही धर्म का रूप धारण कर लेती हैं और कापुरुष उन्हीं की लीक पीटते हैं। स्त्री अपना तन-मन प्रचलित रूढ़ि के आधार पर एक पुरुष को सौंपकर उसकी दासी बन जाती है और अपनी इच्छा, अपना जीवन उसी में लगा देती है। वह तो साधारण जीवन है। पर देवी अम्बपाली, तुम असाधारण स्त्री-रत्न हो, तुम्हारा जीवन भी असाधारण ही होना चाहिए।” -
राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, मेवात की भौगोलिक-सांस्कृतिक अस्मिता पर आधारित भगवानदास मोरवाल के उपन्यास 'ख़ानज़ादा' का एक अंश। इसमें बाबर के खिलाफ़ राणा सांगा और हसन ख़ाँ मेवाती की एकता का वर्णन है।
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, अमित गुप्ता के उपन्यास 'देहरी पर ठिठकी धूप' का एक अंश। समलिंगी प्रेम की स्वाभाविकता और उसके इर्द-गिर्द उपस्थित सामाजिक-नैतिक जड़ताओं को उजागर करता यह उपन्यास अपने छोटे-से कलेवर में कुछ बड़े सवालों और पेचीदा जीवन-स्थितियों का धैर्यपूर्वक सामना करता है।
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' का एक अंश।