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रवीन्द्रनाथ ठाकुर की जयंती पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, रंजन बद्योपाद्याय के उपन्यास ‘मैं रवीन्द्रनाथ की पत्नी’ का एक अंश। इस उपन्यास में लेखक ने यह सोचने की कोशिश की है कि रवीन्द्रनाथ ठाकुर की पत्नी मृणालिनी ने यदि कोई आत्मकथा लिखी होती तो वह उसमें क्या लिखतीं? मूलरूप से बांग्ला भाषा में लिखे गए इस उपन्यास का हिन्दी में अनुवाद शुभ्रा उपाध्याय ने किया है।
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आजादी के बाद जब देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम हुई तो भारत में रह रहे एंग्लो-इंडियन समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संविधान के अनुच्छेद-79 के तहत इस समुदाय के दो लोगों को देश की लोकसभा में और एक-एक प्रतिनिधि को हरेक प्रान्त की विधानसभा में नामजद करने का प्रावधान किया गया था। इसी प्रावधान के तहत लम्बे समय तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे हेक्टर एंगस ब्राउन की आज 29वीं पुण्यतिथि है। राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, दुनिया के एकमात्र एंग्लो इंडियन गाँव पर आधारित विकास कुमार झा के उपन्यास ‘मैकलुस्कीगंज’ का एक अंश, जिसमें उन्होंने हेक्टर एंगस ब्राउन के व्यक्तित्व के बारे में विस्तार से लिखा है।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक गीताजंलि श्री के पहले उपन्यास ‘माई’ के कुछ खास अंश। पहली रचना से ही लेखक को साहित्यिक समाज के बीच चर्चा का केन्द्र बनाने वाले इस उपन्यास में एक छोटे शहर की बड़ी-सी ड्योढ़ी में बसे एक परिवार की कहानी है। जिसमें एक मध्यमवर्गीय परिवार में औरत की ज़िन्दगी को बड़े प्रभावशाली तरीके से उभारा गया है।Read more
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मजदूर दिवस पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, अभिमन्यु अनत के उपन्यास ‘लाल पसीना’ का एक अंश। यह उपन्यास उन भारतीय मजदूरों के जीवन संघर्ष की कहानी है, जिन्हें चालाक फ्रांसीसी और ब्रिटिश उपनिवेशवादी सोने का लालच देकर मॉरिशस ले जाते थे। इस उपन्यास की भूमिका नोबेल पुरस्कार पुरस्कार ज्याँ मेरी गुस्ताव लेक्लेज़ियो ने लिखी है। उन्होंने अपने ‘नोबेल वक्तव्य’ में तीन बार इसके फ्रेंच अनुवाद का उल्लेख विस्तार से किया था।Read more
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राही मासूम रज़ा की पुण्यतिथि पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, उनके उपन्यास ‘टोपी शुक्ला’ का एक अंश। व्यंग्य-प्रधान शैली में लिखा गया यह उपन्यास आज के हिन्दू-मुस्लिम सम्बन्धों को पूरी सच्चाई के साथ पेश करते हुए हमारे आज के बुद्धिजीवियों के सामने एक प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।