- किताब उत्सव के दूसरे दिन ‘मीडिया रिसर्च में संभावनाएँ’ और ‘वॉयस कल्चर’ पर कार्यशालाओं का आयोजन
- डिजिटल प्लेटफॉर्म के बेहतर उपयोग के लिए डिजिटल डिटॉक्स बेहद जरूरी : विनीत कुमार
- आज़ादी के साथ जीना सिखाती है सरबप्रीत सिंह की किताब The Sufi’s Nightingale : रवि सिंह
21 नवंबर, 2024 (गुरुवार)
नई दिल्ली/जालंधर। राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, जालंधर में आयोजित तीन दिवसीय ‘किताब उत्सव’ के दूसरे दिन की शुरुआत ‘मीडिया रिसर्च में संभावनाएँ’ कार्यशाला से हुई। कार्यशाला का निर्देशन लेखक-मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मीडिया रिसर्च बोरिंग नहीं बल्कि संभावनाओं से भरा काम है। अब मीडिया रिसर्च के क्षेत्र में टीवी और प्रिंट माध्यमों के साथ यूट्यूब जैसे डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म भी जुड़ गए हैं। इससे करियर के अनेक नए विकल्प खुल रहे हैं।
दूसरे सत्र में विविध भारती मुम्बई के रेडियो उद्घोषक यूनुस खान के निर्देशन में ‘वॉयस कल्चर’ कार्यशाला आयोजित की गई। इस दौरान उन्होंने युवाओं को बेहतर और प्रभावशाली बोलने से संबंधित कौशल विकास के बारे में बताया।
तीसरे सत्र में ‘बढ़ते स्क्रीन टाइम के बीच डिजिटल डिटॉक्स’ विषय पर विनीत कुमार ने वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा, डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग हम बेहतर और उपयोगी चीजों के लिए लंबे समय तक कर सकें इसके लिए डिजिटल डिटॉक्स बेहद जरूरी है। मौजूदा दौर में हमारे भीतर जो अवसाद बेचैनी ऊब और मानवीय रिश्तों में उतार-चढ़ाव आ रहे हैं, वो किसी न किसी रूप में हमारी डिजिटल जिंदगी से प्रभावित हैं। जाने-अनजाने हम एक ऐसी मशीन और माध्यम के साथ मुकाबले में फंस गए हैं, जो कभी आराम नहीं करता, कभी कुछ महसूस नहीं करता। उसका बस एक ही काम है, अपडेट करते रहना। यह मशीन हमें तेजी से एक एप में बदल रहा है। डिजिटल डिटॉक्स एप में बदल रहे हम मनुष्यों की वापस हाड़मांस के इंसान बने रहने, सहज जीवन जीने की दिशा में एक जरूरी कदम है।
चौथे सत्र में लेखक और पॉडकास्टर सरबप्रीत सिंह की किताब The Sufi’s Nightingale के सन्दर्भ में ‘ये इश्क इश्क है’ विषय पर स्पीकिंग टाइगर के एडिटर इन चीफ़ रवि सिंह ने उनसे बातचीत की। रवि सिंह ने किताब के बारे में बताते हुए कहा कि यह किताब हमें आज़ादी के साथ जीने की सीख देती है, यह उन नियमों को तोड़ने की बात करती है जो मनुष्य को बांधते हैं। इस मौके पर सरबप्रीत सिंह ने कहा कि यह किताब हमें निस्वार्थ प्रेम करना सिखाती है। उन्होंने सूफ़ी कवि शाह हुसैन का परिचय दिया और किताब लिखने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने किताब के लिए की गई अपनी लाहौर यात्रा से जुड़े कुछ किस्से सुनाए। सत्र समापन से पहले उन्होंने ‘माये नी मैनु खेड़ेयाँ दी गाल आख’; ‘मंदी हाँ की चंगी हाँ’ जैसे कई सूफ़ी गीत गुनगुनाए। कार्यक्रम के समापन पर लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की चांसलर प्रोफेसर रश्मि मित्तल ने सभी अतिथियों का सम्मान किया।
किताब उत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को सुबह पहले सत्र में स्पीकिंग टाइगर के एडिटर इन चीफ रवि सिंह Read, Write and Publish विषय पर कार्यशाला लेंगे। दूसरे सत्र में कैलिग्राफर और फॉण्ट डेवलपर राजीव प्रकाश खरे के निर्देशन में ‘साथ सीखें-सुन्दर लिखें’ सुलेख कार्यशाला आयोजित की जाएगी। तीसरा सत्र में यायावर लेखक अनुराधा बेनीवाल से सुदीप्ति ‘आज़ादी मेरा ब्रांड : जीने की समझ’ विषय पर बातचीत करेंगी। अंतिम सत्र काव्य पाठ का होगा जिसमें अशोक कुमार, बलवेन्द्र सिंह, संजय चौहान, अनुराग कुमार, विनोद कुमार शर्मा, धीरेन्द्र सिंह और दिया तोमर कविताएँ प्रस्तुत करेंगे।