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शाकाहार और माँसाहार की बहस इन दिनों राजनीतिक चर्चाओं, भाषणों और विवादों के केंद्र में है। जाहिर है, ऐसे में हमारे मन में यह सवाल उठ सकता है कि क्या इन दोनों में से किसी एक भोजन पद्धति को अपनाया जा सकता है? राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, खानपान की भारतीय संस्कृति पर आधारित लेखों के संकलन ‘सतरंगी दस्तरख़्वान’ का एक लेख जिसमें लेखक-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने ऐतिहासिक और पौराणिक उदाहरणों से इसी सवाल का जबाव ढूँढ़ने की कोशिश की है।Read more
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Posted: June 06, 2024
नीतीश कुमार ने क्यों लौटा दिए थे नरेन्द्र मोदी के भेजे हुए पाँच करोड़?
लोकसभा चुनाव के बाद बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार बहुत चर्चा में है और उन्हें एनडीए के किंगमेकर के तौर पर देखा जा रहा है। राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, उदय कांत द्वारा लिखित उनकी जीवनी ‘नीतीश कुमार : अंतरंग दोस्तों की नज़र से’ में से नीतीश कुमार एक रोचक किस्सा, जब उन्होंने बीजेपी नेताओं से लिए रखी हुई दावत को अचानक से रद्द कर दिया था।Read more -
विश्व पर्यावरण दिवस पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, अनुपम मिश्र की किताब ‘बिन पानी सब सून’ से एक लेख— ‘पर्यावरण क्यों नहीं बनता चुनावी मुद्दा?’ यह लेख बीस साल पहले 2004 में लिखा गया था लेकिन आज यह उस समय से भी ज्यादा प्रासंगिक है।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, ज्ञान चतुर्वेदी के नए उपन्यास ‘एक तानाशाह की प्रेमकथा’ का एक अंश। इस उपन्यास में लेखक ने प्रेम जैसे सार्वभौमिक तत्त्व को अपना विषय बनाया है और उसे वहाँ से देखना शुरू किया है जहाँ वह अपने पात्र के लिए ही घातक हो उठता है। वह आत्ममुग्ध प्रेम किसी को नहीं छोड़ता चाहे प्रेमी के लिए प्रेमिका हो, पति के लिए पत्नी हो या शासक के लिए देश।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, परकाला प्रभाकर की किताब ‘नये भारत की दीमक लगी शहतीरें : संकटग्रस्त गणराज्य पर आलेख’ का एक अंश, जिसमें उन्होंने देश में बढ़ती गरीबी और सरकार द्वारा उसके आंकड़ों को छुपाने के खेल पर चर्चा की है।Read more