-
निर्मल वर्मा और गगन गिल की सभी किताबें राजकमल प्रकाशन में लौट आई हैं, अप्रैल 2024 तक ये किताबें बाजार में उपलब्ध होंगी।Read more
-
कमलेश्वर की जयंती पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, उनके उपन्यास ‘लौटे हुए मुसाफिर’ का एक अंश। वर्ष 1961 में प्रकाशित इस उपन्यास में स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ गम्भीर रूप धारण करती साम्प्रदायिकता की समस्या और भारत विभाजन के नाम पर बेघर-बार हुए मुस्लिम समाज के मोहभंग और उनकी वापसी की विवशता को दर्शाया गया है।Read more
-
Posted: January 04, 2024
लेख : मोबाइल पर उंगलियाँ घुमाते रहना भी है बीमारी?
“मैं अपने आसपास के लोगों को देखता हूँ कि वे बातचीत की शुरुआत करने के पाँच से सात मिनट के बाद उसे उन प्रसंगों से जोड़ने लग जाते हैं कि मोबाइल फ़ोन निकालकर कोई तस्वीर, लिंक या पोस्ट दिखाने की ज़रूरत पड़ जाए। कई बार वे फ़ोन पर इनबॉक्स कर देते हैं। उसके बाद वे कुछ और देखने लग जाते हैं या फिर दूसरा प्रसंग ऐसा छेड़ते हैं कि फिर मोबाइल की ज़रूरत पड़ जाए।”
मोबाइल फोन पर दिनभर उगलियाँ चलाते रहना लगभग हम सबकी एक आदत हो चली है। इसके फायदे-नुकसान पर भी अक्सर बहसें होती है। कई लोग सोशल मीडिया के नुकसानों के बारे में बताते हुए उन्हीं प्लेटफॉर्म पर विडियो/लेख आदि शेयर करते रहते हैं। वहीं कुछ लोग सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कम करने या बिलकुल नहीं करने की शपथ लेकर कुछ ही दिनों में वापस इसे इस्तेमाल करते हुए नज़र आते हैं। इन सबको देखते हुए हमारे मन में इसको लेकर कई तरह के सवाल उठते हैंं। ऐसे ही सवालों से जूझते और उनका जवाब तलाशने की कोशिश करते हुए प्रतिष्ठित मीडिया विश्लेषक और दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर विनीत कुमार
-
जैनेन्द्र कुमार की जयंती पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, ज्योतिष जोशी द्वारा लिखित उनकी जीवनी ‘अनासक्त आस्तिक’ का एक अंश। इसमें देश की आज़ादी के समय साम्प्रदायिक माहौल की एक झलक दिखलाई गई है।Read more