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कमलेश्वर की जयंती पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, उनके उपन्यास ‘लौटे हुए मुसाफिर’ का एक अंश। वर्ष 1961 में प्रकाशित इस उपन्यास में स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ गम्भीर रूप धारण करती साम्प्रदायिकता की समस्या और भारत विभाजन के नाम पर बेघर-बार हुए मुस्लिम समाज के मोहभंग और उनकी वापसी की विवशता को दर्शाया गया है।Read more
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जैनेन्द्र कुमार की जयंती पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, ज्योतिष जोशी द्वारा लिखित उनकी जीवनी ‘अनासक्त आस्तिक’ का एक अंश। इसमें देश की आज़ादी के समय साम्प्रदायिक माहौल की एक झलक दिखलाई गई है।Read more
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रघुवीर सहाय की पुण्यतिथि पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें उनके कविता संग्रह ‘हँसो हँसो जल्दी हँसो’ से पाँच कविताएँ… इस संग्रह में शामिल कविताएँ कविताएँ बार-बार पढ़ी गई हैं और बार-बार पढ़े जाने की माँग करती हैं, क्योंकि हमारे समूह-मन की जिन दरारों की ओर इन कविताओं ने संकेत किया था, आज वे और गहरी हो गई हैं।Read more
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राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, मनोहर श्याम जोशी के प्रतिनिधि व्यंग्य से उनका एक व्यंग्य― जिस देश में जीनियस बसते हैंRead more
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मिर्ज़ा ग़ालिब की जयंती पर राजकमल ब्लॉग में पढ़ें, 1857 के जनविद्रोह के समय लिखी गई उनकी डायरी 'दस्तंबू' का एक अंश। अब्दुल बिस्मिल्लाह के सम्पादन में प्रकाशित इस पुस्तक का फ़ारसी से अनुवाद सैयद ऐनुल हसन ने किया है।