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Umang

Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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जितने कवि हिन्दी के काव्याकाश में चमकते हुए दीख पड़े, सौन्दर्य के सुख-स्पर्श जादू से जिन्होंने मन को वशीभूत कर लिया तथा प्रकाश और दृष्टि दी, श्री गोपाल सिंह नेपाली उन्हीं में से एक हैं।

—सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

सोई उमंग उठ जाग, जाग

जीवन से क्यों इतना विराग

भावों की मादकता, मोहकता, आशा, विश्वास और महत्वाकांक्षाओं से भरी ‘उमंग’ की ये कविताएँ गोपाल सिंह नेपाली की काव्य-विशेषताओं को एक अलग आलोक में प्रकाशित करती हैं।

अपनी तरफ से इन कविताओं की भाव-भूमि का परिचय देते हुए नेपाली जी बताते हैं कि कविता के इस रूप तक आने से पहले वे ब्रजभाषा की कोमल-कान्त पदावली, उमर खय्याम की हाला और उर्दू शायरी की उदासी तक भी होकर आए, लेकिन कविता का जो रूप उन्हें जँचा वह यही है जो उनके इन गीतों और कविताओं में साकार हुआ।

कविता का यह रूप उमंग का है, प्रेरणा का है, समकालीन यथार्थ को समझने, उसे अंकित करने और उसमें परिवर्तन की चाह ​का है।

प्रकृति को सम्बोधित उनके गीत-कविताएँ हमें अपने स्थूल व सूक्ष्म संसार को सुदूर अन्तरिक्ष के भीतर तक खोलने को आमंत्रित करते हैं, और सामाजिक सन्दर्भों की कविताएँ फौरन हालात को बदल देने को प्रेरित करती हैं।

‘किरण’ कविता की यह पंक्तियाँ चलती है कितना मन्थर तिरछी विद्युत-रेखा सी/आती है वह मेरे घर नक्षत्र-लोक की वासी कितनी कोमलता से हमें अखिल सृष्टि से जोड़ देती हैं।

इस संग्रह की सभी कविताएँ इसी तरह आपकी चेतना को आयत्त कर लेती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 136p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1
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Gopal Singh 'Nepali'

Author: Gopal Singh 'Nepali'

गोपाल सिंह ‘नेपाली’

गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त, 1911 को बेतिया (बिहार) में हुआ। प्रवेशिका तक शिक्षा।

उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘उमंग’ (1934), ‘पंछी’ (1934), ‘रागिनी’ (1935), ‘नीलिमा’ (1939), ‘पंचमी’ (1942), ‘नवीन’ (1944), ‘हिमालय ने पुकारा’ (1963), ‘असंकलित रचनाएँ’ (2007)।

‘सुधा’ (1933), ‘चित्रपट’ (1934), रतलाम टाइम्स’, ‘पुण्यभूमि’ (1935-1937), ‘योगी’ (1937-1939) के सम्पादन से जुड़े रहे। बेतिया राज प्रेस (1940-1944) के व्यवस्थापक भी रहे। फिल्मों के लिए गीत लिखे। फिल्म-निर्माण और निर्देशन क्षेत्र में भी सक्रिय रहे।

उनका निधन 17 अप्रैल, 1963 को हुआ।

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