Facebook Pixel

Navin

Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹149.25 Regular Price ₹199.00
25% Off
In stock
SKU
Navin
- +
Share:

हिन्दी कविता को जनमानस तक पहुँचाने में गोपाल सिंह नेपाली का अद्वितीय योगदान है।

हरिवंशराय बच्चन

‘हम राजनीति में नौजवान और साहित्य में बूढ़े एक साथ नहीं बने रह सकते’—इस कविता-संग्रह ‘नवीन’ की भूमिका में गोपाल सिंह नेपाली यह उल्लेखनीय वक्तव्य देते हैं और एक तरह से साहित्य और साहित्यिकों के लिए भी एक कार्यभार तय कर देते हैं।

इस संग्रह का समय 1940 का दशक है जब देश आजादी पाने से कुछ ही दूर था और राजनीति के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन भी एक नई करवट ले रहा था। अब जरूरत थी साहित्य के एक नया रूप लेने की। ‘नवीन’ की कविताओं में उन्होंने यही करने का प्रयास किया है। न सिर्फ कथ्य, बल्कि शिल्प, छन्द और भाषा के स्तर पर भी।

संग्रह की पहली ही ​कविता ‘नवीन’ में वे पुराने तथा रूढ़िबद्ध को छिन्न-भिन्न करते हुए नवीन कल्पना का आह्वान करते हैं :

तुम प्रार्थना किये चले, नहीं दिशा हिली/तुम साधना किये चले, नहीं निशा हिली/इस आर्त दीन देश की न दुर्दशा हिली। अब अश्रु-दान छोड़ आज शीश-दान से/तुम अर्चना करो, अमोघ अर्चना करो।... नवीन कल्पना करो।

प्रकृति की महिमा के साथ-साथ इस संग्रह में राष्ट्र और जन-चेतना से सम्पन्न कविताएँ भी विशेष रूप से ध्यान खींचती हैं। ‘फुटपाथ पर खड़े दर्श​कों से’ और ‘नौजवान की मृत्यु पर’ जैसी कविताएँ अपनी चुस्त गठन और स्पष्ट भावाभिव्य​क्ति में जैसे आज भी पूरे समाज को झकझोर देने की क्षमता रखती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 128p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 19.5 X 12.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Navin
Your Rating

Author: Gopal Singh 'Nepali'

गोपाल सिंह ‘नेपाली’

11 अगस्त, 1911 को बेतिया (बिहार) में जन्म।

प्रवेशिका तक शिक्षा। सम्पादन-सहयोग : ‘सुधा’ (1933); सहायक सम्पादक : ‘चित्रपट’ (1934), दिल्ली; सम्पादक : ‘रतलाम टाइम्स’, ‘पुण्यभूमि’ (1935-1937), ‘मध्य भारत’; संयुक्त सम्पादक : ‘योगी’ (1937-1939), पटना। व्यवस्थापक : बेतिया राज प्रेस (1940-1944)। फ़िल्मी गीतकार, निर्माता, निर्देशक (1944-1956)। स्वतंत्र लेखन व यायावरी (1956-1963)। 

प्रमुख कृतियाँ : ‘उमंग’ (1934), ‘पंछी’ (1934), ‘रागिनी’ (1935), ‘नीलिमा’ (1939), ‘पंचमी’ (1942), ‘नवीन’ (1944), ‘हिमालय ने पुकारा’ (1963), ‘असंकलित रचनाएँ’ (2007)।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top