

Arvind Mohan
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अरविन्द मोहन
पढ़ाई के दौरान आधुनिक भारत के इतिहास में गहरी रुचि रखनेवाले अरविन्द मोहन ने 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री पाई और उसके बाद से ही आर्थिक विषयों पर ध्यान केन्द्रित करना शुरू किया। वे 1983 से प्रकाशित हिन्दी दैनिक ‘जनसत्ता’ और फिर 1986 से प्रकाशित पाक्षिक हिन्दी समाचार पत्रिका ‘इंडिया टुडे’ की प्रारभिक टोली के सदस्य रहे। दिसम्बर, 1995 में दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ में सहायक सम्पादक पद पर कार्यरत। अपने पत्रकार-जीवन में उन्होंने आर्थिक विषयों के साथ ही प्रायः सभी विषयों पर ख़ूब पढ़ा-लिखा। 1993 में प्रकाशित उनकी सम्पादित किताब ‘ग़ुलामी का ख़तरा’ ने नई आर्थिक नीतियों के आलोचनात्मक विश्लेषण की शुरुआत की। 1974 के जेपी आन्दोलन से प्रेरित अरविन्द मोहन अब तक चलनेवाली विविध समान्तर राजनैतिक गतिविधियों से निकट सम्बन्ध रखते आए हैं।