Pratinidhi kavitayen : Gopal Singh Nepali

Edition: 2024, Ed. 6th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Pratinidhi kavitayen : Gopal Singh Nepali
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गोपाल सिंह ‘नेपाली’ उत्तर छायावाद के प्रतिनिधि कवियों में कई कारणों से विशिष्ट हैं। उनमें प्रकृति के प्रति सहज और स्वाभाविक अनुराग है, देश के प्रति सच्ची श्रद्धा है, मनुष्य के प्रति सच्चा प्रेम है और सौन्दर्य के प्रति सहज आकर्षण है। उनकी काव्य-संवेदना के मूल में प्रेम और प्रकृति है।

ऐसा नहीं है कि ‘नेपाली’ के प्रेम में रूप का आकर्षण नहीं है। उनकी रचनाओं में रूप का आकर्षण भी है और मन की विह्वलता भी, समर्पण की भावना भी है और मिलन की कामना भी, प्रतीक्षा की पीड़ा भी है और स्मृतियों का दर्द भी।

‘नेपाली’ की राष्ट्रीय चेतना भी अत्यन्त प्रखर है। वे देश को दासता से मुक्त कराने के लिए रचनात्मक पहल करनेवाले कवि ही नहीं हैं, राष्ट्र के संकट की घड़ी में ‘वन मैन आर्मी’ की तरह पूरे देश को सजग करनेवाले और दुश्मनों को चुनौती देनेवाले कवि भी हैं।

‘नेपाली’ एक शोषणमुक्त समतामूलक समाज की स्थापना के पक्षधर कवि हैं—

वे आश्वस्त हैं कि समतामूलक समाज का निर्माण होगा। मनुष्य रूढ़ियों से मुक्त होकर विकास पथ पर अग्रसर होगा। प्रेम और बन्धुत्व विकसित होंगे और मनुष्य सामूहिक विकास की दिशा में अग्रसर होगा—

“सामाजिक पापों के सिर पर चढ़कर बोलेगा अब ख़तरा

बोलेगा पतितों-दलितों के गरम लहू का क़तरा-क़तरा

होंगे भस्म अग्नि में जलकर धरम-करम और पोथी-पत्रा

और पुतेगा व्यक्तिवाद के चिकने चेहरे पर अलकतरा

सड़ी-गली प्राचीन रूढ़ि के भवन गिरेंगे, दुर्ग ढहेंगे

युग-प्रवाह पर कटे वृक्ष से दुनिया भर के ढोंग बहेंगे

पतित-दलित मस्तक ऊँचा कर संघर्षों की कथा कहेंगे

और मनुज के लिए मनुज के द्वार खुले के खुले रहेंगे।”

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2009
Edition Year 2024, Ed. 6th
Pages 152p
Translator Not Selected
Editor Satish Kumar Roy
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 17.5 X 12 X 1
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Author: Gopal Singh 'Nepali'

गोपाल सिंह ‘नेपाली’

11 अगस्त, 1911 को बेतिया (बिहार) में जन्म।

प्रवेशिका तक शिक्षा। सम्पादन-सहयोग : ‘सुधा’ (1933); सहायक सम्पादक : ‘चित्रपट’ (1934), दिल्ली; सम्पादक : ‘रतलाम टाइम्स’, ‘पुण्यभूमि’ (1935-1937), ‘मध्य भारत’; संयुक्त सम्पादक : ‘योगी’ (1937-1939), पटना। व्यवस्थापक : बेतिया राज प्रेस (1940-1944)। फ़िल्मी गीतकार, निर्माता, निर्देशक (1944-1956)। स्वतंत्र लेखन व यायावरी (1956-1963)। 

प्रमुख कृतियाँ : ‘उमंग’ (1934), ‘पंछी’ (1934), ‘रागिनी’ (1935), ‘नीलिमा’ (1939), ‘पंचमी’ (1942), ‘नवीन’ (1944), ‘हिमालय ने पुकारा’ (1963), ‘असंकलित रचनाएँ’ (2007)।

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