Uttaradhunik Avadharnayen

As low as ₹540.00 Regular Price ₹600.00
You Save 10%
In stock
Only %1 left
SKU
Uttaradhunik Avadharnayen
- +

अक्सर कहा जाता है कि कल्पनाशील लेखन करनेवाले हिन्दी के रचनाकार वस्तुगत ढंग से गम्भीर लेखन नहीं कर पाते। यदि करते भी हैं तो विवाद वाले मुद्दों पर स्पष्ट स्टैंड नहीं लेते। इस धारणा को ख़ारिज करती है श्रीप्रकाश मिश्र की यह पुस्तक ‘उत्तरआधुनिक अवधारणाएँ’।

श्रीप्रकाश मिश्र हमारे समय के महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों में से एक हैं। इस पुस्तक में उत्तर-आधुनिकता, उत्तर-साम्यवाद, उत्तर-प्राच्यवाद, उत्तर-उपनिवेशवाद, स्त्रीवाद, विचारधारा, निर्वचन, भूमंडलीकरण, राष्ट्रवाद, जनतंत्र, संस्कृति, न्याय, सामाजिक अभियंत्रण, लोकलुभावनवाद आदि पर अच्छी तरह से विवेचित लेख हैं, व्याख्यान हैं। वे एक स्पष्ट स्टैंड लेकर चलते हैं और लेखक की स्पष्टवादिता दर्ज करते हैं।

उम्मीद है, यह पुस्तक पाठकों के ज्ञान और चिन्तन को समृद्ध करेगी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 418p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Write Your Own Review
You're reviewing:Uttaradhunik Avadharnayen
Your Rating
Shriprakash Mishra

Author: Shriprakash Mishra

श्रीप्रकाश मिश्र

ग्राम—जड़हा, ज़िला—कुशीनगर (उ.प्र.) के निवासी श्रीप्रकाश मिश्र एम.ए. ( राजनीति शास्त्र) और एल-एल.एम. हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। विद्यार्थी जीवन में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई में ‘मुक्तिवाहिनी’ के साथ रहे। केन्द्र सरकार की सेवा में रहते हुए उत्तर-पूर्व, कश्मीर, भूटान, बांग्लादेश आदि में रहे। अब इलाहाबाद में रहते हैं और कविता की अनियतकालीन पत्रिका ‘उन्नयन' का संपादन/प्रकाशन करते है। ‘रामविलास शर्मा सम्मान’ के संस्थापक व पुरस्कर्ता हैं।

प्रकाशन : पाँच कविता-संग्रह : ‘मौन पर शब्द’ (1986), ‘शब्द के बारीक तारों से’ (2009), ‘शब्द संभावनाएँ हैं’ (2012), ‘मिअमाड़’ (2015), ‘कि जैसे होना ख़तरनाक संकेत’ (2017); चार उपन्यास : ‘जहाँ बाँस फूलते हैं’ (1996), ‘रूपतिल्ली की कथा’ (2006), ‘जो भुला दिए गए’ (2013), ‘आपरेशन ख़ुदाबख्‍़श’ (2015); चार आलोचना की पुस्तकें : ‘यह जो आ रहा है हरा’ (1992), ‘यूरोप के आधुनिक कवि’ (2011), ‘चुग की नब्ज़’ (2012), ‘रचना का सच’ (2013) के अलावा चिन्तन की दो पुस्तकें : ‘सोच की दृग छाया’ (2017) और ‘उत्तर आधुनिक अवधारणाएँ’ (2018) प्रकाशित हैं।

Read More
Books by this Author
Back to Top