Nadi Ki Toot Rahi Deh Ki Awaz

Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
As low as ₹472.50 Regular Price ₹525.00
10% Off
In stock
SKU
Nadi Ki Toot Rahi Deh Ki Awaz
- +
Share:

यह उपन्यास ज़मीन से जुडी समस्या पर आधारित है और इस मामले में यह प्रेमचन्द्, रेणु, शिवप्रसाद सिंह आदि की रचनाओं की आगे की कड़ी के रूप में दिखेगा, एक सर्वथा अपरिचित क्षेत्र और परिस्थिति में अवस्थित। यहाँ असम के लोगों का जीवन अपने पूरे सांस्कृतिक वितान के साथ तथा उसका टकराव अन्य संस्कृतियों के साथ जो बहिरागतों के आने के कारण बना है, उभरकर चित्रित हुआ है। वहाँ का आम आदमी अनुभव करता है कि वह अपने ही वतन में अल्पसंख्यक होता जा रहा है। अपने मध्यवर्गीय चरित्र के कारण सरकारें उसका समाधान निरन्तर टालती रहती हैं। परिणामस्वरूप इंसरजेंसी और आतंकवाद वहाँ के जीवन का अंग बन जाता है। लड़ते हुए लोगों का एक पूरा जीवन बीत जाता है, पर एक अदना-सा ज़मीन का टुकड़ा हस्तगत नहीं हो पाता। आज जो राष्ट्रीय नागरिकता पंजी और नए नागरिक विधान की बहस चल रही है, उसकी रुनझुन उपन्यासकार ने काफ़ी पहले अनुभव कर ली है। यह पूरा वृत्तान्त एक सुन्दर कहानी के माध्यम से इस उपन्यास में आया है। श्रीप्रकाश मिश्र निम्न मूलतः कवि हैं। इसलिए उनका प्रकृति का, मनुष्य के स्वभाव का, नौकरशाहों और राजनेताओं के व्यवहार का वर्णन एक खूबसूरत भाषा में हुआ है। यह उपन्यास पाठकों को कई तरह से समृद्ध करेगा।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 491P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3
Write Your Own Review
You're reviewing:Nadi Ki Toot Rahi Deh Ki Awaz
Your Rating
Shriprakash Mishra

Author: Shriprakash Mishra

श्रीप्रकाश मिश्र

श्रीप्रकाश मिश्र के अबतक पाँच कविता संग्रह : ’मौन पर शब्द’ (1986), ‘शब्द के बारीक तारों से’ (2009), ‘शब्द संभावनाएँ हैं’ (2012), ‘मिअमाड़’ (2015), ‘कि जैसे होना खतरनाक संकेत’ (2017), पाँच उपन्यास : ‘जहाँ बांस फूलते हैं’ (1996), ‘रूपतिल्ली की कथा’ (2006), ‘जो भुला दिये गये’ (2013), ‘आपरेशन खुदाबख्श’ (2015), ‘नदी की टूट रही देह की आवाज’ (2020), चार आलोचना की पुस्तकें ‘यह जो आ रहा है हरा’ (1992), ‘यूरोप के आधुनिक कवि’ (2011), ‘युग की नब्ज’ (2012), ‘रचना का सच’ (2013) के अलावा चिन्तन की पाँच पुस्तकें ‘सोच की दृग छाया’ (2017), ‘उत्तर आधुनिक अवधारणाएं’ (2018) ‘बहस के मुद्दे’ (2019), ‘अहिंसा का उत्तर आधुनिक परिप्रेक्ष्य’ (2021), ‘न्याय: अहिंसक समाज का आधार’ (2022) प्रकाशित हैं। ग्राम जड़हा जिला कुशीनगर (उ.प्र.) के निवासी श्रीप्रकाश मिश्र एम.ए. (राजनीति शास्त्र) और एल-एल.एम हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। विद्यार्थी जीवन में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। बांग्ला देश की आजादी की लड़ाई में मुक्तिवाहिनी के साथ रहे। केन्द्र सरकार की सेवा में रहते हुए उत्तर-पूर्व, कश्मीर, भूटान, बांग्ला देश आदि में रहे। अब प्रयागराज में रहते हैं और कविता की अनियतकालीन पत्रिका 'उन्नयन' का संपादन/ प्रकाशन करते हैं। रामविलास शर्मा सम्मान के संस्थापक व पुरस्कर्ता हैं।

संपर्क : 406 त्रिवेणी रोड, कीडगंज, प्रयागराज (उ.प्र), पिन : 211003

ई-मेल: spm1950@rediffmail.com

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top