Facebook Pixel

Gita

Author: Yashpal
Edition: 2010, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
25% Off
Out of stock
SKU
Gita

‘गीता’ शीर्षक यह उपन्यास पहले ‘पार्टी कामरेड’ नाम से प्रकाशित हुआ था। इसके केन्द्र में गीता नामक एक कम्युनिस्ट युवती है जो पार्टी के प्रचार के लिए उसका अख़बार बम्बई की सड़कों पर बेचती है और पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करती है। पार्टी के प्रति समर्पित निष्ठावान गीता पार्टी के काम के सिलसिले में अनेक लोगों के सम्पर्क में आती है। इन्हीं में से एक पदमलाल भावरिया भी है जो पैसे के बल पर युवतियों को फँसाता है। उसके साथी एक दिन उसे अख़बार बेचती गीता को दिखाकर फँसाने की चुनौती देते हैं। गीता और भावरिया का लम्बा सम्पर्क अन्ततः भावरिया को ही बदल देता है।

अपने अन्य उपन्यासों की तरह इस उपन्यास में भी यशपाल देश की राजनीति और उसके नेताओं के चारित्रिक अन्तर्विरोधों को व्यंग्यात्मक शैली में उद्घाटित करते हैं। उपन्यास में कम्यून जीवन का बड़ा विश्वसनीय अंकन हुआ है जिसके कारण इस उपन्यास का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके लिए काफ़ी समय तक यशपाल मुम्बई में स्वयं कम्यून में रहे थे। अपने ऊपर लगाए गए प्रचार के आरोप का उत्तर देते हुए यशपाल उपन्यास की भूमिका में संकेत करते हैं कि वास्तविकता को दर्पण दिखाना भी प्रचार के अन्तर्गत आ सकता है या नहीं, यह विचारणीय है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1946
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 99p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Gita
Your Rating
Yashpal

Author: Yashpal

यशपाल

जन्म : 3 दिसम्बर, 1903; फ़िरोज़पुर छावनी, पंजाब।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गुरुकुल काँगड़ी, डी.ए.वी. स्कूल, लाहौर और फिर मनोहर लाल हाईस्कूल में हुई। सन् 1921 में वहीं से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की।

प्रारम्भिक जीवन रोमांचक कथाओं के नायकों-सा रहा। भगत सिंह, सुखदेव, भगवतीचरण और आज़ाद के साथ क्रान्तिकारी कार्यों में खुलकर भाग लिया।

सन् 1931 में 'हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना’ के सेनापति चन्द्रशेखर आज़ाद के मारे जाने पर सेनापति नियुक्त। 1932 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में गिरफ़्तार। 1938 में जेल से छूटने के बाद जीवनपर्यन्त लेखन-कार्य में संलग्न रहे।

प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : ‘झूठा सच : वतन और देश’, ‘झूठा सच : देश का भविष्य’, ‘मेरी तेरी उसकी बात’, ‘देशद्रोही’, ‘दादा कामरेड’, ‘मनुष्य के रूप’, ‘दिव्या’, ‘अमिता’, ‘बारह घंटे’, ‘अप्सरा का शाप’ (उपन्यास); ‘धर्मयुद्ध’, ‘ओ भैरवी’, ‘उत्तराधिकारी’, ‘चित्र का शीर्षक’, ‘अभिशप्त’, ‘वो दुनिया’, ‘ज्ञानदान’, ‘पिंजरे की उड़ान’, ‘तर्क का तूफ़ान’, ‘भस्मावृत चिंगारी’, ‘फूलो का कुर्ता’, ‘तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ’, ‘उत्तमी की माँ’, ‘खच्चर और आदमी’, ‘भूख के तीन दिन’, ‘लैम्प शेड’ (कहानी-संग्रह); ‘लोहे की दीवार के दोनों ओर’, ‘राहबीती’, ‘स्वर्गोद्यान : बिना साँप’ (यात्रा-वृत्तान्त); ‘मेरी जेल डायरी’ (डायरी); ‘रामराज्य की कथा’, ‘गाँधीवाद की शव-परीक्षा’, ‘मार्क्सवाद’, ‘देखा, सोचा, समझा’, ‘चक्कर क्लब’, ‘बात-बात में बात’, ‘न्याय का संघर्ष’, ‘बीबी जी कहती हैं मेरा चेहरा रोबीला है’, ‘जग का मुजरा’, ‘मैं और मेरा परिवेश’, ‘यथार्थवाद और उसकी समस्याएँ’, ‘यशपाल का विप्लव’ (राजनीति/निबन्ध/व्यंग्य/सम्पादन); ‘सिंहावलोकन’ (सम्पूर्ण 1-4 भाग) (संस्मरण); ‘नशे-नशे की बात’ (नाटक); ‘प्रिय पाश’ (पत्र)।

पुरस्कार : ‘देव पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’, ‘पद्मभूषण’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’।

निधन : 26 दिसम्बर, 1976

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top