Dada Kamred

Author: Yashpal
Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Dada Kamred
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उपन्यासकार के रूप में यशपाल की विशिष्टता का एक आयाम उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता भी है। साहित्य उनके लिए रचनाकार की वैयक्तिक कार्यशाला नहीं है, उसका पहला उद्देश्य सामाजिक अधिरचना में हस्तक्षेप है, इसीलिए उनके उपन्यास एक तरफ समाज की तसवीर खींचने का प्रयास करते हैं, तो दूसरी तरफ उसमें वैचारिक हस्तक्षेप भी करते हैं।
‘दादा कामरेड’ विषय ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सक्रिय एक गुप्त क्रान्तिकारी दल और उसके अन्तर्विरोध हैं जिसमें यशपाल ने अपने यथार्थ अनुभवों के आधार पर कुछ अत्यन्त ही विश्वसनीय और सजीव चित्रों का विधान किया है। इसके अलावा इस उपन्यास में उन्होंने स्त्री-पुरुष सम्बन्धों को भी मार्क्सवादी नजरिए से देखने-समझने का प्रयास किया है। अपने साहसी विवरणों के लिए अपने समय में अत्यन्त चर्चित रहा यह उपन्यास आज भी स्त्री विमर्श के दृष्टिकोण से बहुत अहमियत रखता है। उपन्यास की नायिका शैल कहती है, “जब स्त्री को एक आदमी से बँध जाना है और सामाजिक अवस्थाओं के अनुसार उसके अधीन रहना है, उस पर निर्भर करना है, उस सम्बन्ध को कुछ भी नाम दिया जाए, वह है स्त्री की गुलामी ही।”

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2009
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 147p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 0.8
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Yashpal

Author: Yashpal

यशपाल

यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर, 1903 को फ़िरोजपुर छावनी, पंजाब में हुआ।

उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गुरुकुल कांगड़ी, डी.ए.वी. स्कूल, लाहौर और फिर मनोहर लाल हाईस्कूल में हुई। 1921 में वहीं से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। प्रारम्भिक जीवन रोमांचक कथाओं के नायकों-सा रहा। भगत सिंह, सुखदेव, बोहरा और आजाद के साथ क्रान्तिकारी कार्यों में खुलकर भाग लिया। 1931 में  हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना के सेनापति चन्द्रशेखर आजाद के मारे जाने पर सेनापति नियुक्त। 1932 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में गिरफ्तार। 1938 में जेल से छूटे। तब से जीवनपर्यन्त लेखन कार्य में संलग्न रहे।

उनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैंझूठा सच : वतन और देश, झूठा सच : देश का भविष्य, मेरी तेरी उसकी बात, देशद्रोही, दादा कामरेड, मनुष्य के रूप, दिव्या, अमिता, बारह घंटे, अप्सरा का शाप (उपन्यास); लैम्प शेड, धर्मयुद्ध, ओ भैरवी, उत्तराधिकारी, चित्र का शीर्षक, अभिशप्त, वो दुनिया, ज्ञानदान, पिंजरे की उड़ान, तर्क का तूफान, भस्माकृत चिंगारी, फूलो का कुर्ता, तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ, उत्तमी की माँ, खच्चर और आदमी, भूख के तीन दिन (कहानी-संग्रह); यशपाल का यात्रा साहित्य और कथा नाटक, लोहे की दीवार के दोनों ओर, राह बीती, स्वर्गोद्यान बिना साँप (यात्रा-वृत्तान्त); मेरी जेल डायरी (डायरी); यशपाल के निबन्ध (दो खंड), राम-राज्य की कथा, गांधीवाद की शव परीक्षा, मार्क्सवाद, देखा, सोचा, समझा, चक्कर क्लब, बात-बात में बात, न्याय का संघर्ष, बीबी जी कहती हैं मेरा चेहरा रौबीला है, जग का मुजरा, मैं और मेरा परिवेश, यशपाल का विप्लव (राजनीति/निबन्ध/व्यंग्य); सिंहावलोकन (सम्पूर्ण 1-4) (दस्तावेज) नशे नशे की बात (संस्मरण); यशपाल रचनावली।

उन्हें देव पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘साहित्य वारिधि’, ‘पद्मभूषणआदि से सम्मानित किया गया।

निधन : 26 दिसम्बर, 1976

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