Facebook Pixel

Gyandan

Author: Yashpal
Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
As low as ₹71.25 Regular Price ₹95.00
25% Off
In stock
SKU
Gyandan

- +
Share:
Codicon

यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।

‘ज्ञानदान’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘ज्ञानदानֺ’, ‘एक राज़’, ‘गण्डेरी’, ‘कुछ समझ न सका’, ‘दु:ख का अधिकार’, ‘पराया सुख’, ‘80/100’, या ‘सांई सच्चे!’, ‘ज़बरदस्ती’, ‘हलाल का टुकड़ा’, ‘मनुष्य’, ‘बदनाम’ और ‘अपनी चीज़’।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1944
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 147p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Gyandan
Your Rating
Yashpal

Author: Yashpal

यशपाल

जन्म : 3 दिसम्बर, 1903; फ़िरोज़पुर छावनी, पंजाब।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गुरुकुल काँगड़ी, डी.ए.वी. स्कूल, लाहौर और फिर मनोहर लाल हाईस्कूल में हुई। सन् 1921 में वहीं से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की।

प्रारम्भिक जीवन रोमांचक कथाओं के नायकों-सा रहा। भगत सिंह, सुखदेव, भगवतीचरण और आज़ाद के साथ क्रान्तिकारी कार्यों में खुलकर भाग लिया।

सन् 1931 में 'हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना’ के सेनापति चन्द्रशेखर आज़ाद के मारे जाने पर सेनापति नियुक्त। 1932 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में गिरफ़्तार। 1938 में जेल से छूटने के बाद जीवनपर्यन्त लेखन-कार्य में संलग्न रहे।

प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : ‘झूठा सच : वतन और देश’, ‘झूठा सच : देश का भविष्य’, ‘मेरी तेरी उसकी बात’, ‘देशद्रोही’, ‘दादा कामरेड’, ‘मनुष्य के रूप’, ‘दिव्या’, ‘अमिता’, ‘बारह घंटे’, ‘अप्सरा का शाप’ (उपन्यास); ‘धर्मयुद्ध’, ‘ओ भैरवी’, ‘उत्तराधिकारी’, ‘चित्र का शीर्षक’, ‘अभिशप्त’, ‘वो दुनिया’, ‘ज्ञानदान’, ‘पिंजरे की उड़ान’, ‘तर्क का तूफ़ान’, ‘भस्मावृत चिंगारी’, ‘फूलो का कुर्ता’, ‘तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ’, ‘उत्तमी की माँ’, ‘खच्चर और आदमी’, ‘भूख के तीन दिन’, ‘लैम्प शेड’ (कहानी-संग्रह); ‘लोहे की दीवार के दोनों ओर’, ‘राहबीती’, ‘स्वर्गोद्यान : बिना साँप’ (यात्रा-वृत्तान्त); ‘मेरी जेल डायरी’ (डायरी); ‘रामराज्य की कथा’, ‘गाँधीवाद की शव-परीक्षा’, ‘मार्क्सवाद’, ‘देखा, सोचा, समझा’, ‘चक्कर क्लब’, ‘बात-बात में बात’, ‘न्याय का संघर्ष’, ‘बीबी जी कहती हैं मेरा चेहरा रोबीला है’, ‘जग का मुजरा’, ‘मैं और मेरा परिवेश’, ‘यथार्थवाद और उसकी समस्याएँ’, ‘यशपाल का विप्लव’ (राजनीति/निबन्ध/व्यंग्य/सम्पादन); ‘सिंहावलोकन’ (सम्पूर्ण 1-4 भाग) (संस्मरण); ‘नशे-नशे की बात’ (नाटक); ‘प्रिय पाश’ (पत्र)।

पुरस्कार : ‘देव पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’, ‘पद्मभूषण’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’।

निधन : 26 दिसम्बर, 1976

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top