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Rampur Ki Ramkahani

Author: Amarnath
Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Rampur Ki Ramkahani

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रामपुर की रामकहानी बदलते भारत और खासतौर से वैश्वीकरण के बाद हो रहे तीव्र विकास और उसकी दिशा की कहानी है। विकास के उस दिशा की कहानी है, जिसकी ओर बढ़ते हुए मंजिल तो दूर, हमें पथ भी कहीं नजर नहीं आता।

‘पटरी पर पढ़ाई, मुल्ला की तावीज, भउजी, कृषि संस्कृति की समाधि, जद्दू पंडित का कुनबा, जाति जाति में जाति, अथ यज्ञोपवीत भंजन कथा, ठेके पर हरिनाम’ आदि संस्मरणों के इस संग्रह में छह दशकों का क्रमिक और प्रामाणिक इतिहास पूरी ईमानदारी के साथ रोचक शैली में अंकित है। ये संस्मरण, सत्यकथाएँ हैं। शैली आत्मकथात्मक है। कथा के सूत्र जोड़ने के लिए जहाँ बहुत जरूरी है, वहीं कल्पना का सहारा लिया गया है। 

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 184p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Amarnath

Author: Amarnath

डॉ. अमरनाथ

सुधी आलोचक और प्रतिष्ठित भाषाविद् के रूप में ख्यात डॉ. अमरनाथ (वास्तविक नाम डॉ. अमरनाथ शर्मा) का जन्म गोरखपुर जनपद (सम्प्रति महाराजगंज) के रामपुर बुजुर्ग नामक गाँव में सन् 1954 में हुआ। उनकी आरम्भिक शिक्षा गाँव के आस-पास के विद्यालयों में और उच्च शिक्षा गोरखपुर विश्वविद्यालय में हुई, जहाँ से उन्होंने एम.ए. और पीएच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। कविता से अपनी रचना-यात्रा शुरू करनेवाले डॉ. अमरनाथ सामाजिक-आर्थिक विषमता से जुड़े सवालों से लगातार जूझते रहे हैं। उनका विश्वास है कि लेखन में शक्ति सामाजिक संघर्षों से आती है। इसी विश्वास ने उन्हें ‘नारी का मुक्ति संघर्ष’ जैसे साहित्येत्तर विषय पर पुस्तक लिखने को बाध्य किया। ‘आचार्य रामचन्‍द्र शुक्ल और परवर्ती आलोचना’, ‘आचार्य रामचन्‍द्र शुक्ल का काव्य-चिन्‍तन’, ‘समकालीन शोध के आयाम’ (सं.), ‘हिन्‍दी का भूमंडलीकरण’ (सं.), ‘हिन्‍दी भाषा का समाजशास्त्र’ (सं.), ‘सदी के अन्त में हिन्‍दी’ (सं.), ‘बाँसगाँव की विभूतियाँ’ (सं.), ‘हिन्‍दी जाति’ आदि उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकें हैं।

हिन्‍दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के बीच सेतु निर्मित करने एवं भारतीय भाषाओं की प्रतिष्ठा के उद्देश्य से ‘अपनी भाषा’ नामक संस्था के गठन और संचालन में केन्‍द्रीय भूमिका निभानेवाले डॉ. अमरनाथ, संस्था के अध्यक्ष हैं एवं उसकी पत्रिका ‘भाषा विमर्श’ का सन् 2000 से सम्‍पादन कर रहे हैं। वे नवें दशक से ही जनवादी लेखक संघ से जुड़े हैं तथा भारतीय हिन्‍दी परिषद् के उपसभापति रह चुके हैं। हिन्‍दी परिवार को टूटने से बचाने और उसकी बोलियों को हिन्‍दी के साथ संगठित रखने के उद्देश्य से गठित संगठन ‘हिन्‍दी बचाओ मंच’ के संयोजक के रूप में डॉ. अमरनाथ निरन्‍तर संघर्षरत हैं। वे श्री चन्द्रिका शर्मा फूलादेवी स्मृति सेवा ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी तथा उसकी पत्रिका ‘गाँव’ के भी सम्पादक हैं।

कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्‍दी विभाग में प्रोफ़ेसर तथा अध्यक्ष-पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद वे स्वतंत्र लेखन तथा सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं।

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