Yatharthwad Aur Uski Samasyayen

Author: Yashpal
Editor: Anand
Edition: 2015, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Yatharthwad Aur Uski Samasyayen
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बहसों और विवादों से यशपाल का गहरा नाता था। उनके सोचने का अपना ढंग था जो मार्क्सवादी विश्वदृष्टि से अनुशासित एवं नियंत्रित था। वे सवालों से बचकर निकलने में नहीं, उनसे टकराने में विश्वास करनेवाले लेखक थे। सामाजिक एवं राजनीतिक महत्त्व के जनता के जीवन से जुड़े मुद्दे और सवाल हमेशा उनकी चिन्ता के केन्द्र में रहे। साहित्य में कलावाद और व्यक्तिवाद का विरोध करके वे परिवर्तनकामी चेतना के वाहक थे। अपने लम्बे रचनाकाल में साहित्यिक एवं कलात्मक समस्याओं, लेखक के परिवेश और दायित्व आदि सवालों पर उन्होंने गम्भीरता से विचार किया है।

प्रस्तुत पुस्तक में सम्मिलित सामग्री कुछ तो सैद्धान्तिक सवालों और मुद्दों से सम्बन्धित है और कुछ विविध साहित्यिक प्रसंगों, विवादों या फिर अपने स्पष्टीकरण के रूप में लिखित लेखों एवं टिप्पणियों से बनी है। भाषा के प्रश्न पर उनकी अनेक टिप्पणियाँ और लेख हैं जिनमें हिन्दी-उर्दू विवाद के साथ पंजाबी भी शामिल है। आज उस सारी सामग्री के एक जगह होने पर इन सवालों पर यशपाल को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।

इधर मार्क्सवाद के संकट की चर्चा प्राय: होती रही है। सोवियत संघ के पतन के बाद उसकी देशज प्रकृति पर भी विचार किया जाता है। भूमंडलीकरण और आर्थिक उदारवाद ने सब कहीं मार्क्सवाद के लिए संकट पैदा किया। चीन की पूँजीवादी छलाँग से इस संकट को समझा जा सकता है। यहाँ साठ के दशक में लिखित और तब पर्याप्त विवादास्पद रहा लेख ‘मार्क्सवाद में पुनर्विचार’ भी सम्मिलित है। निश्चय ही यह संकलन चिन्तक यशपाल को समझने में उपयोगी और महत्त्वपूर्ण है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 352p
Translator Not Selected
Editor Anand
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Yashpal

Author: Yashpal

यशपाल

यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर, 1903 को फ़िरोजपुर छावनी, पंजाब में हुआ।

उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गुरुकुल कांगड़ी, डी.ए.वी. स्कूल, लाहौर और फिर मनोहर लाल हाईस्कूल में हुई। 1921 में वहीं से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। प्रारम्भिक जीवन रोमांचक कथाओं के नायकों-सा रहा। भगत सिंह, सुखदेव, बोहरा और आजाद के साथ क्रान्तिकारी कार्यों में खुलकर भाग लिया। 1931 में  हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना के सेनापति चन्द्रशेखर आजाद के मारे जाने पर सेनापति नियुक्त। 1932 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में गिरफ्तार। 1938 में जेल से छूटे। तब से जीवनपर्यन्त लेखन कार्य में संलग्न रहे।

उनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैंझूठा सच : वतन और देश, झूठा सच : देश का भविष्य, मेरी तेरी उसकी बात, देशद्रोही, दादा कामरेड, मनुष्य के रूप, दिव्या, अमिता, बारह घंटे, अप्सरा का शाप (उपन्यास); लैम्प शेड, धर्मयुद्ध, ओ भैरवी, उत्तराधिकारी, चित्र का शीर्षक, अभिशप्त, वो दुनिया, ज्ञानदान, पिंजरे की उड़ान, तर्क का तूफान, भस्माकृत चिंगारी, फूलो का कुर्ता, तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ, उत्तमी की माँ, खच्चर और आदमी, भूख के तीन दिन (कहानी-संग्रह); यशपाल का यात्रा साहित्य और कथा नाटक, लोहे की दीवार के दोनों ओर, राह बीती, स्वर्गोद्यान बिना साँप (यात्रा-वृत्तान्त); मेरी जेल डायरी (डायरी); यशपाल के निबन्ध (दो खंड), राम-राज्य की कथा, गांधीवाद की शव परीक्षा, मार्क्सवाद, देखा, सोचा, समझा, चक्कर क्लब, बात-बात में बात, न्याय का संघर्ष, बीबी जी कहती हैं मेरा चेहरा रौबीला है, जग का मुजरा, मैं और मेरा परिवेश, यशपाल का विप्लव (राजनीति/निबन्ध/व्यंग्य); सिंहावलोकन (सम्पूर्ण 1-4) (दस्तावेज) नशे नशे की बात (संस्मरण); यशपाल रचनावली।

उन्हें देव पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘साहित्य वारिधि’, ‘पद्मभूषणआदि से सम्मानित किया गया।

निधन : 26 दिसम्बर, 1976

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