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Apani Dhun Mein

Author: Ruskin Bond
Translator: Prabhat Ranjan
Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Apani Dhun Mein

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यह ज़िन्दगी का ऐसा सुचिंतित और भावपूर्ण आख्यान है, जिसमें प्रकृति की उत्कृष्ट छवियाँ हैं, और छोटे-बड़े लोगों की गर्मजोशी से भरी यादें टँकी हुई हैं।

—दि इंडियन एक्सप्रेस  

बॉन्ड अपनी ज़िन्दगी और हमारे आसपास की दुनिया के प्रति ऐसा सद्भावपूर्ण नज़रिया रखते हैं कि पढ़नेवालों को महसूस होने लगता है कि आख़िरकार यह दुनिया इतनी ख़राब जगह भी नहीं है!

—दि ट्रिब्यून

पिछले सात दशकों से, बड़े-छोटे शहरों, गाँव और क़स्बों में आबाद हर उम्र के बेशुमार पढ़नेवालों के लिए रस्किन बॉन्ड बेहतरीन साथी रहे हैं। अपनी किताबों और कहानियों से वह हमें रिझाते आए हैं। उनकी जादुई क़िस्सागोई सम्मोहन जगाती है। कभी-कभार डराती भी है और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की ख़ूबसूरती और प्रकृति के टटके सौन्दर्य से हमारा परिचय कराती है। उनकी इस अनूठी आत्मकथा में आप उस पृष्ठभूमि को जान पाएँगे जहाँ से उन्होंने वे कहानियाँ और क़िस्से उठाए हैं।

एक पुरअसर सपने से शुरुआत करके पाठकों को वह अरब सागर के किनारे बसे जामनगर में अपने ख़ुशनुमा बचपन में ले जाते हैं, जहाँ उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी और फिर 1940 के दशक की नई दिल्ली में, जहाँ हुए तज़ुर्बों के हवाले से उन्होंने अपनी पहली कहानी लिखी थी। यह उनकी ख़ुशियों का मुख़्तसर-सा दौर था, जो उनके माता-पिता के अलगाव और बेहद अज़ीज़ पिता की असामयिक मृत्यु के साथ ख़त्म हो गया था।

बेहद आत्मीयता और साफ़गोई के साथ, वे शिमला में अपने बोर्डिंग स्कूल के दिनों और देहरादून में सर्दियों की उन छुट्टियों को याद करते हैं, जब उन्होंने अपने अकेलेपन से उबरने की कोशिश की, दोस्त बनाए और उन्हें खोया भी, महत्त्वपूर्ण किताबें खोजीं और अपनी ज़िन्दगी का मक़सद भी तलाश किया। लेखक बनने के अपने मज़बूत इरादे के साथ उन्होंने इंग्लैंड में मुश्किल-भरे चार साल बिताए। वहाँ की अपनी एकाकी ज़िन्दगी और दिल टूटने के वाक़ियों के बारे में उन्होंने ख़ासा मर्मस्पर्शी आख्यान रचा है। मगर इस सबके बावजूद उन्होंने अपना संकल्प नहीं छोड़ा और एक उपन्यास, ‘द रूम ऑन द रूफ़’ लिखकर लेखक बनने की दिशा में पहला निर्णायक क़दम उठाया। किशोरवय का यह क्लासिक उपन्यास भारत के प्रति उनके लगाव को दर्शाता है।

आत्मकथा के आख़िरी खंड में वह अपने भटकाव से छुटकारे और मसूरी की पहाड़ियों में आबाद होने के बाद ज़िन्दगी में आए ठहराव के बारे में लिखते हैं। मसूरी, जहाँ चारों तरफ़ हरियाली है, धूप और धुंध है, परिन्दों का कलरव और मायावी तेन्दुए हैं, नए दोस्तों और विलक्षण लोगों की सोहबत है, और एक ऐसा परिवार भी है जो धीरे-धीरे उनका अपना परिवार बन गया। दूसरे विश्वयुद्ध के समय भारत का माहौल और स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय देश के दिनोंदिन बदलते हालात के कुछ दुर्लभ विवरण भी आप इस आत्मकथा में पाते हैं।  

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Prabhat Ranjan
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 328p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Author: Ruskin Bond

रस्किन बॉण्ड

रस्किन बॉण्ड भारत के विश्वप्रसिद्ध बाल कथाकार हैं। उनका जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में, अब्रे बॉण्ड और एडिथ क्लार्क के यहाँ हुआ था। रस्किन बॉण्ड 17 वर्ष की उम्र से लगातार लिख रहे हैं। अबतक सैकड़ों कहानियाँ, उपन्यास, संस्मरण और कविताएँ लिख चुके हैं। उनके रचे हुए ‘अंकल केन’ और ‘रस्टी’ जैसे चरित्र बाल साहित्य में यादगार माने जाते हैं। उनकी रचनाओं पर अनेक फ़िल्में बन चुकी हैं जिनमें ‘ब्लू अम्ब्रेला’, ‘जुनून’, सात ख़ून माफ’ आदि बहुचर्चित हैं। ‘आवर ट्रीज़ इज स्टिल ग्रो इन देहरा’ शीर्षक उपन्यास के लिए उन्हें प्रतिष्ठित साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। साहित्य में उनके विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ सम्मान से सम्मानित किया गया। वे मसूरी में रहते हैं।

 

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