‘बोसकी के धनवान’ बोसकी के सातवें जन्मदिन का उपहार है। बोसकी के साथ-साथ सब बच्चों को उपहार है। पहली पुरानी कहानी है—इक देश के इक शहर के, किसी एक मुहल्ले के, इक घर के, इक शख़्स की। दूसरी में जानोगे कैसे चढ़ा शनीचर ज्यादा लालच में, तीसरी में क्यों पहुँचा नाई कोतवाली में और चौथे में धनीराम को कहाँ मिले दो सर, चार हाथ।
Language | Hindi |
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Format | Paper Back |
Publication Year | 2014 |
Edition Year | 2014, Ed. 1st |
Pages | 32p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 20 X 18 X 0.5 |