‘बोसकी के ताल-पाताल’ कश्मीर की लोककथा पर आधारित है। गुलज़ार की अपनी शैली में। ‘नागराय पाताल के नागों का राजा था।’ क्या हुआ उस राजा के साथ? पृथ्वी के स्वर्ग कश्मीर और पाताल के बीच नागराय की कथा बड़े रोचक ढंग से चलती है। गुलज़ार ने यह लोक-कथा बोसकी के तेरहवें जन्म-दिन पर भेंट की थी।
Language | Hindi |
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Format | Paper Back |
Publication Year | 2009 |
Edition Year | 2009, Ed. 1st |
Pages | 52p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 20 X 13 X 0.5 |