Boski Ki Sunali

Author: Gulzar
As low as ₹54.00 Regular Price ₹60.00
You Save 10%
In stock
Only %1 left
SKU
Boski Ki Sunali
- +

बच्चों की कहानियाँ जो मासूम फ़रिश्तों की तरह देश-देश में जाती हैं और एक देश के बच्चों को दूसरे देश के बच्चों से मिलाती हैं, उनके सन्देश पहुँचाती हैं और दोस्तियाँ कराती हैं। ‘बोस्की की सुनाली’ भी एक ऐसी ही कहानी है जो दूर देश के लेखक हैंस एंडरसन की एक कहानी ‘दी लिटिल मैच गर्ल’ को कविता में लिखकर सुना रहे हैं। यह कहानी वैसी की वैसी नहीं है, क्योंकि हिन्दुस्तानी बच्चों के लिए उस ख़याल को हिन्दुस्तानी वातावरण में रख के देखना चाहिए। वही लड़की अगर हिन्दुस्तान में होती तो शायद कुछ ऐसा होता जैसा कि सुनाली के साथ हुआ है। ‘बोस्की की सुनाली’ की यह कहानी चित्रों और रेखांकन के साथ जीवंत हो उठी है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 16p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 20 X 12 X 0.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Boski Ki Sunali
Your Rating
Gulzar

Author: Gulzar

गुलज़ार

गुलज़ार एक मशहूर शायर हैं जो फ़िल्में बनाते हैं। गुलज़ार एक अप्रतिम फ़िल्मकार हैं जो कविताएँ लिखते हैं।
बिमल राय के सहायक निर्देशक के रूप में शुरू हुए। फ़िल्मों की दुनिया में उनकी कविताई इस तरह चली कि हर कोई गुनगुना उठा। एक 'गुलज़ार-टाइप' बन गया। अनूठे संवाद, अविस्मरणीय पटकथाएँ, आसपास की ज़िन्दगी के लम्हे उठाती मुग्धकारी फ़िल्में। ‘परिचय’, ‘आँधी’, ‘मौसम’, ‘किनारा’, ‘ख़ुशबू’, ‘नमकीन’, ‘अंगूर’, ‘इजाज़त’—हर एक अपने में अलग।
1934 में दीना (अब पाकिस्तान) में जन्मे गुलज़ार ने रिश्ते और राजनीति—दोनों की बराबर परख की। उन्होंने ‘माचिस’ और ‘हू-तू-तू’ बनाई, ‘सत्या’ के लिए लिखा—'गोली मार भेजे में, भेजा शोर करता है...।‘
कई किताबें लिखीं। ‘चौरस रात’ और ‘रावी पार’ में कहानियाँ हैं तो ‘गीली मिट्टी’ एक उपन्यास। 'कुछ नज़्में’, ‘साइलेंसेस’, ‘पुखराज’, ‘चाँद पुखराज का’, ‘ऑटम मून’, ‘त्रिवेणी’ वग़ैरह में कविताएँ हैं। बच्चों के मामले में बेहद गम्भीर। बहुलोकप्रिय गीतों के अलावा ढेरों प्यारी-प्यारी किताबें लिखीं जिनमें कई खंडों वाली ‘बोसकी का पंचतंत्र’ भी है। ‘मेरा कुछ सामान’ फ़िल्मी गीतों का पहला संग्रह था, ‘छैयाँ-छैयाँ’ दूसरा। और किताबें हैं : ‘मीरा’, ‘ख़ुशबू’, ‘आँधी’ और अन्य कई फ़िल्मों की पटकथाएँ। 'सनसेट प्वॉइंट', 'विसाल', 'वादा', 'बूढ़े पहाड़ों पर' या 'मरासिम' जैसे अल्बम हैं तो 'फिज़ा' और 'फ़िलहाल' भी। यह विकास-यात्रा का नया चरण है।
बाक़ी कामों के साथ-साथ 'मिर्ज़ा ग़ालिब' जैसा प्रामाणिक टी.वी. सीरियल बनाया। ‘ऑस्‍कर अवार्ड’, ‘साहित्‍य अकादेमी पुरस्‍कार’ सहित कई अलंकरण पाए। सफ़र इसी तरह जारी है। फ़िल्में भी हैं और 'पाजी नज़्मों' का मजमुआ भी आकार ले रहा है।

 

Read More
Books by this Author
Back to Top