बच्चों की कहानियाँ जो मासूम फ़रिश्तों की तरह देश-देश में जाती हैं और एक देश के बच्चों को दूसरे देश के बच्चों से मिलाती हैं, उनके सन्देश पहुँचाती हैं और दोस्तियाँ कराती हैं। ‘बोस्की की सुनाली’ भी एक ऐसी ही कहानी है जो दूर देश के लेखक हैंस एंडरसन की एक कहानी ‘दी लिटिल मैच गर्ल’ को कविता में लिखकर सुना रहे हैं। यह कहानी वैसी की वैसी नहीं है, क्योंकि हिन्दुस्तानी बच्चों के लिए उस ख़याल को हिन्दुस्तानी वातावरण में रख के देखना चाहिए। वही लड़की अगर हिन्दुस्तान में होती तो शायद कुछ ऐसा होता जैसा कि सुनाली के साथ हुआ है। ‘बोस्की की सुनाली’ की यह कहानी चित्रों और रेखांकन के साथ जीवंत हो उठी है।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Publication Year | 2009 |
Edition Year | 2009, Ed. 1st |
Pages | 16p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 20 X 12 X 0.5 |