Smritipath

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Author: Dhirendra Verma
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स्मृतिपथ

स्मृतिपथ धीरेन्द्र वर्मा का सातवाँ उपन्यास है। स्मृतिपथ इस अर्थ में एक उपन्यास है कि इसमें एक कहानी है, जो कल्पना पर आधारित है परन्तु यह एक कथा इस अर्थ में नहीं है कि यह कथाक्रम के पारम्परिक परिभाषा से पृथक् और भिन्न है। इसमें जीवन के आधारभूत मूल्यों का विश्लेषण किया गया है। स्मृतिपथ की कथा का किसी देश, काल या परिस्थिति से सीधा सम्बन्ध नहीं है और इसका परिदृश्य सार्वभौमिक है।

स्मृतिपथ एक कहानी न होकर एक धारणा है जो मनुष्य के जीवन से अपरिहार्य रूप से जुड़ी हुई है। इस सम्पूर्ण सृष्टि में जहाँ भी जीवन है, सभ्यता है, वहाँ के प्राणियों को एक सशक्त ‘स्मृति’ मिली है और एक ‘पथ’ मिला है जिस पर उन्हें चलना है, और बढ़ना है। अपनी जीवनयात्रा में हमें अपने स्वविवेक से अपना मार्ग चुनकर अपने गन्‍तव्य की ओर बढ़ना होता है और इस जीवन यात्रा को हम अपनी स्मृति के कोश में संचित करते हुए अपने स्मृतिपथ पर अपने कर्मों को छायांकित करते जाते हैं जिससे हम अपने इस जीवन के भाग्य का और अपने पुनर्जन्म का निर्धारण करते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 1st
Pages 72p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Editorial Review

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Dhirendra Verma

Author: Dhirendra Verma

धीरेन्द्र वर्मा 

जन्म : 17 मई, 1897 को बरेली के भूड़ मुहल्ले में हुआ।

शिक्षा : क्वींस कॉलेज, लखनऊ से सन् 1914 में प्रथम श्रेणी में स्कूल लीविंग परीक्षा पास की और हिन्दी में विशेष योग्यता। म्योर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद से सन् 1921 में संस्कृत से एम.ए. किया। सन् 1934 में प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक ज्यूल ब्लॉख के निर्देशन में पेरिस यूनिवर्सिटी से डी.लिट्. की उपाधि प्राप्त की।

सन् 1924 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रथम अध्यापक नियुक्त हुए, बाद में प्रोफ़ेसर तथा हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। हिन्दुस्तानी अकादमी के सदस्य और दीर्घकाल तक मंत्री के पद पर नियुक्त रहे। सन् 1958-59 में लिग्निस्टिक ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष रहे। सागर विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष रहे। जबलपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर कार्य किया।

प्रमुख कृतियाँ : ‘हिन्दी भाषा का इतिहास’, ‘हिन्दी भाषा और लिपि’, ‘ब्रजभाषा व्याकरण’, ‘अष्टछाप’, ‘सूरसागर सार’, ‘मेरी कॉलेज डायरी’, ‘ब्रजभाषा हिन्दी साहित्य कोश’, ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’, ‘कम्पनी के पत्र’, ‘ग्रामीण हिन्दी’, ‘हिन्दी राष्ट्र’, ‘विचारधारा’, ‘यूरोप के पत्र’ आदि।

निधन : प्रयाग में सन् 1973 में।

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