बीसवीं सदी के आठवें दशक में प्रकाशित एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास है ‘नई दिशा’। इसमें बदलते युग की वह गाथा है, जो सामाजिक परिस्थितियों के बीच युवा-मानस की बेचैनियों से निर्मित हुई थी। जीवन की उथल-पुथल को इस उपन्यास में बड़े ही कलात्मक ढंग से चित्रित किया गया है।

‘नई दिशा’ में एक ऐसे आदर्शवादी युवक प्रशान्त की कहानी है जो निश्छल ग्रामीण वातावरण में पलता है, लेकिन ऊँची शिक्षा पाने के लिए जब वह शहर जाता है तो वहाँ के जीवन में व्याप्त विकृतियाँ-विसंगतियाँ उसे स्तम्भित कर देती हैं। वह देखता है कि पाश्चात्य प्रभाव के चलते यहाँ पर व्यवहार ही नहीं, चिन्ता और चिन्तन के स्तर पर भी सर्वत्र अराजकता और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। यथार्थ के जिस रूप से प्रशान्त का साक्षात्कार होता है, उससे उसे लगता है कि राजनीतिक प्रवंचना के इस युग में पूरी की पूरी पीढ़ी ही जैसे भटक गई है तथा जिस दिशा की ओर बढ़ी जा रही है, वह सही नहीं है। यह उपन्यास उसी सही दिशा की तलाश की गाथा है जिसमें बदलाव की आकांक्षा और भटकाव को दूर करने की जद्दोजहद प्रबलता से मुखर हुई है।

इसमें मूल और मूल्यों का संवेदनात्मक पक्ष अपने प्रभाव में अद्भुत और अविस्मरणीय है। अपने समय की एक दस्तावेज़ है ‘नई दिशा’।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1978
Edition Year 2020,Ed. 2nd
Pages 88p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1
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Dhirendra Verma

Author: Dhirendra Verma

धीरेन्द्र वर्मा 

जन्म : 27 दिसम्बर, 1936; इलाहाबाद।

शिक्षा : हिन्दी, अंग्रेजी और राजनीतिशास्त्र लेकर बी.ए., लखनऊ विश्वविद्यालय; राजनीतिशास्त्र में एम.ए., लखनऊ विश्वविद्यालय।

प्रकाशन : पिछले 50 वर्षों से साहित्य से सम्बद्ध, ‘किस्सा प्रीतम पांडे का’ पहला उपन्यास सत्तर के दशक में प्रकाशित हुआ जो हास्य व्यंग्य का एक सशक्त हस्ताक्षर बना।

तदुपरान्त हिन्दी में ‘नयी दिशा’ समेत सात उपन्यास एवं एक कहानी-संग्रह प्रकाशित, हिन्दी की सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में कहानियाँ एवं लेख प्रकाशित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के लिए स्वतंत्र लेखन। ‘भगवतीचरण वर्मा रचनावली’ का सम्पादन।

कान्यकुब्ज डिग्री कॉलेज, लखनऊ में राजनीतिशास्त्र विभाग में प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त।

सम्पर्क : चित्रलेखा, महानगर, लखनऊ।

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