Nati

Author: Mahashweta Devi
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बंगाल की प्रसिद्ध उपन्यासकार महाश्वेता देवी की चमत्कारी लेखनी से हिन्दी पाठक पूर्णरूपेण परिचित हो चुके हैं। ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ और ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित महाश्वेता देवी की कृति ‘नटी’ पढ़कर पाठक एक बार फिर चौकेंगे।

करीब सवा सौ साल पहले की संगीत-सभा, मुजरा-गोष्ठी, भारतीय स्वातंत्र्य-संग्राम की प्रथम चिनगारी और संघर्ष के वातावरण के बीच मोती नाम की एक नर्तकी की प्रेरणादायक भूमिका का यह इतिहास-खंड एक नई दुनिया की ही सृष्टि करता है। मोती अद्वितीय सुन्दरी थी, अपूर्व नर्तकी, ख़ूब मोहक। लेकिन राजाओं-महाराजाओं के बीच मुजरा करके उनका मनोरंजन करते-करते स्वयं ही एक सिपाही ख़ुदाबख़्श की प्रेयसी बन उसे सारा जीवन संन्यासिनी होकर क्यों बेचैन रहना पड़ा, इसी की कथा है यह—नटी।

रंग, रेशम, जरी, जेवर और वेणी में तूफ़ान भरकर अनेक मजलिसों से घिरी, घुँघरुओं की झंकार पर थिरकती मोती जब घाघरे का एक वृत्त बनाकर बैठ गई तो उसका सीमाहीन जीवन ख़ुदाबख़्श की एकान्त प्रेम-परिधि में कैसे बँध गया, क्यों? ख़ुदाबख़्श के वक्ष के अतिरिक्त मोती के लिए छिपने का कहीं स्थान नहीं बचा क्यों...क्यों? रंगीन जीवन की अनेकानेक रहस्यमय परतों को एक-एक कर खोलनेवाली और पग-पग पर पाठकों को चौंकानेवाली ‘नटी’ की यह अनुपम कथा एक अनुपम साहित्यिक उपलब्धि है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 192p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1
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Mahashweta Devi

Author: Mahashweta Devi

महाश्वेता देवी

जन्म : 1926; ढाका।

पिता श्री मनीष घटक सुप्रसिद्ध लेखक थे।

शिक्षा : प्रारम्भिक पढ़ाई शान्तिनिकेतन में, फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए.।

अर्से तक अंग्रेज़ी का अध्यापन।

कृतियाँ अनेक भाषाओं में अनूदित।

हिन्दी में अनूदित कृतियाँ : ‘चोट्टि मुण्डा और उसका तीर’, ‘जंगल के दावेदार’, ‘अग्निगर्भ’, ‘अक्लांत कौरव’, ‘1084वें की माँ’, ‘श्री श्रीगणेश महिमा’, ‘टेरोडैक्टिल’, ‘दौलति’, ‘ग्राम बांग्ला’, ‘शाल-गिरह की पुकार पर’, ‘भूख’, ‘झाँसी की रानी’, ‘आंधारमानिक’, ‘उन्तीसवीं धारा का आरोपी’, ‘मातृछवि’, ‘सच-झूठ’, ‘अमृत संचय’, ‘जली थी अग्निशिखा’, ‘भटकाव’, ‘नीलछवि’, ‘कवि वन्द्यघटी गाईं का जीवन और मृत्यु’, ‘बनिया-बहू’, ‘नटी’ (उपन्यास); ‘पचास कहानियाँ’, ‘कृष्ण द्वादशी’, ‘घहराती घटाएँ’, ‘ईंट के ऊपर ईंट’, ‘मूर्ति’ (कहानी-संग्रह); ‘भारत में बँधुआ मज़दूर’ (विमर्श)।

सम्मान : ‘जंगल के दावेदार’ पुस्तक पर ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’। ‘मैगसेसे अवार्ड’ तथा ‘ज्ञानपीठ  पुरस्कार’ से सम्मानित।

निधन : 28 जुलाई, 2016 (कोलकाता)।

 

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