Jungle Ke Davedar

Author: Mahashweta Devi
Translator: Jagat Shankhdhar
Edition: 2023, Ed. 13th
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Jungle Ke Davedar
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बिहार के अनेक ज़िलों के घने जंगलों में रहनेवाली आदिम जातियों की अनुभूतियों, पुरा-कथाओं और सनातन विश्वासों में सिझी सजीव, सचेत आस्था का चित्रण। जंगलों को माँ की तरह पूजा करनेवाले, अमावस की रात के अँधेरे से भी काले—और प्रकृति जैसे निष्पाप—मुंडा, हो, हूल, संथाल, कोल और अन्य बर्बर (?), असभ्य (?) जातियों द्वारा शोषण के विरुद्ध और जंगल की मिल्कियत के छीन लिए गए अधिकारों को वापस लेने के उद्देश्य से की गई सशस्त्र क्रान्ति की महागाथा।

25 वर्ष का अनपढ़, अनगढ़ बीरसा उन्नीसवीं शती के अन्त में हुए इस विद्रोह में संघर्षरत लोगों के लिए ‘भगवान’ बन गया था, लेकिन ‘भगवान’ का यह सम्बोधन उसने स्वीकार किया था उनके जीवन में, व्यवहार में, चिन्तन में और आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों में आमूल क्रान्ति लाने के लिए।

कोड़ों की मार से उधड़े काले जिस्म पर लाल लहू ज़्यादा लाल, ज़्यादा गाढ़ा दीखता है न। इस विद्रोह की रोमांचकारी, मार्मिक, प्रेरक सत्यकथा है—‘जंगल के दावेदार’। हँसते-नाचते-गाते, परम सहज आस्था और विश्वास से दी गई प्राणों की आहुतियों की महागाथा—‘जंगल के दावेदार’।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1979
Edition Year 2023, Ed. 13th
Pages 284p
Translator Jagat Shankhdhar
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5
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Mahashweta Devi

Author: Mahashweta Devi

महाश्वेता देवी

जन्म : 1926; ढाका।

पिता श्री मनीष घटक सुप्रसिद्ध लेखक थे।

शिक्षा : प्रारम्भिक पढ़ाई शान्तिनिकेतन में, फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए.।

अर्से तक अंग्रेज़ी का अध्यापन।

कृतियाँ अनेक भाषाओं में अनूदित।

हिन्दी में अनूदित कृतियाँ : ‘चोट्टि मुण्डा और उसका तीर’, ‘जंगल के दावेदार’, ‘अग्निगर्भ’, ‘अक्लांत कौरव’, ‘1084वें की माँ’, ‘श्री श्रीगणेश महिमा’, ‘टेरोडैक्टिल’, ‘दौलति’, ‘ग्राम बांग्ला’, ‘शाल-गिरह की पुकार पर’, ‘भूख’, ‘झाँसी की रानी’, ‘आंधारमानिक’, ‘उन्तीसवीं धारा का आरोपी’, ‘मातृछवि’, ‘सच-झूठ’, ‘अमृत संचय’, ‘जली थी अग्निशिखा’, ‘भटकाव’, ‘नीलछवि’, ‘कवि वन्द्यघटी गाईं का जीवन और मृत्यु’, ‘बनिया-बहू’, ‘नटी’ (उपन्यास); ‘पचास कहानियाँ’, ‘कृष्ण द्वादशी’, ‘घहराती घटाएँ’, ‘ईंट के ऊपर ईंट’, ‘मूर्ति’ (कहानी-संग्रह); ‘भारत में बँधुआ मज़दूर’ (विमर्श)।

सम्मान : ‘जंगल के दावेदार’ पुस्तक पर ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’। ‘मैगसेसे अवार्ड’ तथा ‘ज्ञानपीठ  पुरस्कार’ से सम्मानित।

निधन : 28 जुलाई, 2016 (कोलकाता)।

 

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