‘नील छवि’ महाश्वेता देवी का लीक से हटकर लिखा गया रोचक उपन्यास है। यह उपन्यास वस्तुतः हमारे आधुनिक नागर समाज की खोखली होती नैतिक मान्यताओं और बीभत्स स्थितियों का बड़ा ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करता है।

शहरी उच्च मध्यवर्ग और निम्न मध्यवर्ग किस प्रकार ग़लत महत्त्वाकांक्षाओं और विलासिता के आकर्षण में अपने को नैतिक तथा मानवीय स्तर से गिराकर उपभोक्ता संस्कृति का शिकार होता है और सब कुछ खो बैठता है, इसका यह उपन्यास गहराई में जाकर विश्लेषण करता है। ‘ड्रग्स’ और ‘ब्लू फ़िल्म’ किस तरह हमारे आधुनिक समाज की जड़ों को खोखला कर रहे हैं, इसका बेहद तीखा और यथार्थपरक चित्रण इस कृति में किया गया है। इसके अलावा पत्रकारिता, कला-जगत, और तथाकथित उच्चवर्गीय जीवन की विषमताओं और विडम्बनाओं को बेहद रचनात्मक रूप से इस कथा-रचना का विषय बनाया गया है।

गुंडा शरीफ़ज़ादों और शरीफ़ गुंडों के बीच फलती-फूलती अपराध की दुनिया के साथ राजनीति और कला-जगत् की मिलीभगत का यहाँ अच्छा पर्दाफ़ाश हुआ है। कथा में उत्तेजना, जिज्ञासा और आतंक का वातावरण अन्तिम पृष्ठ तक व्याप्त रहता है। एक अत्यन्त पठनीय, रोचक तथा विचारोत्तेजक कृति।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1993
Edition Year 2008, Ed. 2nd
Pages 198p
Translator Maheshwar
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 18 X 12.5 X 1.5
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Mahashweta Devi

Author: Mahashweta Devi

महाश्वेता देवी

जन्म : 1926; ढाका।

पिता श्री मनीष घटक सुप्रसिद्ध लेखक थे।

शिक्षा : प्रारम्भिक पढ़ाई शान्तिनिकेतन में, फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए.।

अर्से तक अंग्रेज़ी का अध्यापन।

कृतियाँ अनेक भाषाओं में अनूदित।

हिन्दी में अनूदित कृतियाँ : ‘चोट्टि मुण्डा और उसका तीर’, ‘जंगल के दावेदार’, ‘अग्निगर्भ’, ‘अक्लांत कौरव’, ‘1084वें की माँ’, ‘श्री श्रीगणेश महिमा’, ‘टेरोडैक्टिल’, ‘दौलति’, ‘ग्राम बांग्ला’, ‘शाल-गिरह की पुकार पर’, ‘भूख’, ‘झाँसी की रानी’, ‘आंधारमानिक’, ‘उन्तीसवीं धारा का आरोपी’, ‘मातृछवि’, ‘सच-झूठ’, ‘अमृत संचय’, ‘जली थी अग्निशिखा’, ‘भटकाव’, ‘नीलछवि’, ‘कवि वन्द्यघटी गाईं का जीवन और मृत्यु’, ‘बनिया-बहू’, ‘नटी’ (उपन्यास); ‘पचास कहानियाँ’, ‘कृष्ण द्वादशी’, ‘घहराती घटाएँ’, ‘ईंट के ऊपर ईंट’, ‘मूर्ति’ (कहानी-संग्रह); ‘भारत में बँधुआ मज़दूर’ (विमर्श)।

सम्मान : ‘जंगल के दावेदार’ पुस्तक पर ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’। ‘मैगसेसे अवार्ड’ तथा ‘ज्ञानपीठ  पुरस्कार’ से सम्मानित।

निधन : 28 जुलाई, 2016 (कोलकाता)।

 

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