हिन्दी में गाँव-घर या जड़ों से लगाव की बहुत सारी कहानियाँ लिखी गई हैं और अभी भी लिखी जा रही हैं; क्योंकि जड़ों से लगाव ही तो देता है जीवन और स्थायित्व। आज जब आभासी यथार्थ ने व्यक्ति को सचमुच के यथार्थ से दूर और जड़ों से अलग कर दिया है, ऐसे समय में इस संचयन की ज़रूरत और ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। हिन्दी कहानी की लोकधर्मी परम्परा का ध्यान रखते हुए चुनी हुई इन कहानियों को पढ़कर हम अपने अतीत की आत्म-मुग्धता के शिकार नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से सजग प्रेम के प्रति जागरूक होते हैं।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2014 |
Edition Year | 2014, Ed. 1st |
Pages | 144p |
Translator | Not Selected |
Editor | Pankaj Mitra |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 14 X 1 |