हिन्दी कहानी की चर्चा पर अखिलेश की कहानियाँ याद न आएँ, असम्भव है। वह ऐसे लेखक हैं जो बौद्धिकों और सामान्य पाठकों के बीच एक साथ स्वीकृत हैं।

अखिलेश का ज़िक्र समर्थ कथाकार के रूप में किया जाता है तो इसमें सबसे अधिक योगदान ‘शापग्रस्त’ संग्रह में शामिल कहानियों का है। इस किताब की समस्त कहानियाँ अपनी संश्लिष्ट वास्तविकता, कलात्मकता और अद्वितीय गद्य के ज़रिए लगातार हिन्दी पाठक को मुग्ध, गर्वित और हैरान करती रही हैं। इसीलिए ‘शापग्रस्त’ को यदि कहानियों के संग्रह की जगह श्रेष्ठ कहानियों का संग्रह कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी। इसमें उपस्थित ‘चिट्ठी’, ‘ऊसर’, ‘बायोडाटा’, ‘शापग्रस्त’ तथा ‘जलडमरूमध्य’ हिन्दी की बेहतरीन कहानियाँ हैं। साथ ही ‘अगली शताब्दी के प्यार का रिहर्सल’ एवं ‘पाताल’ भी अनेक चर्चित कहानियों की तुलना में बेहतर और पठनीय हैं।

‘शापग्रस्त’ की कहानियाँ इस अर्थ में विस्फोटक हैं कि सभी की सभी देश के नए सच से मुठभेड़ करती हैं। मनुष्य, समाज, परिवार, संस्कृति, राजनीति, प्रेम और आत्मा पर आघात कर रहे उपभोक्तावादी-बाज़ार व्यवस्था की सर्जनात्मक साक्ष्य हैं ये कहानियाँ। मौजूदा समय स्वातंत्र्योत्तर भारत का सबसे ज़्यादा हिंसक तथा आक्रान्ता समय है, और इसी को ‘शापग्रस्त’ की कहानियों में घेरा गया है।

अखिलेश के यहाँ ख़ास रंग के जीवन्त, हँसमुख और शरारती गद्य के ज़रिए सत्य को ढूँढ़ा, परखा, प्रकट किया गया है। और, इस अर्थ में तो अखिलेश की भाषा का मिज़ाज अभिनव है कि वह एक तरफ़ व्यंग्य-विनोद की छटा बिखेरती है तो दूसरी तरफ़ करुणा की अन्तःसलिला भी प्रवाहित करती है। शायद इसी वजह से ‘शापग्रस्त’ की कहानियाँ ग़ज़ब की वाग्विदग्ध होने के बावजूद अपने परिणाम में हमें बेचैन, उदास और आन्दोलित करती हैं।

ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि अखिलेश का यह संग्रह लम्बे समय तक हलचल पैदा करता रहेगा।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1997
Edition Year 2009, Ed. 2nd
Pages 175p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Akhilesh

Author: Akhilesh "Tatbhav "

अखिलेश

जन्म : 1960; सुल्तानपुर (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य), इलाहाबाद विश्वविद्यालय।

प्रकाशित कृतियाँ : कहानी-संग्रह—‘आदमी नहीं टूटता’, ‘मुक्ति’, ‘शापग्रस्त’, ‘अँधेरा’। उपन्यास—‘अन्वेषण’; सृजनात्मक गद्य—‘वह जो यथार्थ था’। आलोचना—‘श्रीलाल शुक्ल की दुनिया’ (सं.)। सम्पादन—‘वर्तमान साहित्य’, ‘अतएव’ पत्रिकाओं में समय-समय पर सम्पादन। आजकल प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘तद्भव’ के सम्पादक। 'एक कहानी एक किताब' शृंखला की दस पुस्तकों के शृंखला सम्पादक। 'दस बेमिसाल प्रेम कहानियाँ' का सम्पादन।

अन्य : देश के महत्त्वपूर्ण निर्देशकों द्वारा कई कहानियों का मंचन एवं नाट्य-रूपान्तरण। कुछ कहानियों का दूरदर्शन हेतु फ़‍िल्मांकन। टेलीविज़न के लिए पटकथा एवं संवाद-लेखन। अनेक भारतीय भाषाओं में रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित।

पुरस्कार/सम्मान : ‘श्रीकान्‍त वर्मा सम्मान’, ‘इन्दु शर्मा कथा सम्मान’, ‘परिमल सम्मान’, ‘वनमाली सम्मान’, ‘अयोध्या प्रसाद खत्री सम्मान’, ‘स्पन्दन पुरस्कार’, ‘बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार’, ‘कथा अवार्ड’ आदि।

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