Sampoorana Kahaniyan : Akhilesh

Author: Akhilesh
Edition: 2021, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Sampoorana Kahaniyan : Akhilesh
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अखिलेश ने हिन्दी कहानी को एक नई तरतीब दी और पठनीयता की तमाम शर्तों को पूरा करते हुए उसे इस क़ाबिल बनाया है कि वह यथार्थ को अधिक निर्मम निगाह से देख सके। उनका कथाकार संसार की वास्तविकता को देखने के लिए अपने टेलिस्कोप और माइक्रोस्कोप उस बिन्दु पर स्थित करता है जहाँ से हमारे वक़्त की पीठ का नंगापन हर हाल में ज़्यादा तीखा दिखाई देता है।

ग़लत की भव्यता से अखिलेश की चिढ़ और सही की निरीहता के प्रति उनकी पक्षधरता उनके विवरणों तक में चयनात्मक भूमिका निभाती है जिसके चलते कहानी पूरी होने से पहले भी हमें कई बार अपना पक्ष चुनने के बारे में चेताती चलती है। वे यह भी सावधानी बरतते हैं कि हम बाहरी विवरणों के तमाशबीन भर होकर न रह जाएँ, और इसके लिए उनका कथाकार संत्रास के कुछ अमूर्त स्ट्रोक अनायास ही पाठक के अवचेतन तक पहुँचा देता है, जो तब ज़्यादा टीसते हैं जब हम पाठक की भूमिका से निकलकर वापस नागरिक-सामाजिक होने जाते हैं।

‘शापग्रस्त’ और ‘चिट्ठी’ जैसी उनकी कहानियों ने हिन्दी कहानी की फ़ार्मूलाबद्धता को उस समय भंग किया जब वह वैचारिक एकरैखिकता की झोंक में अपने आसपास फैले यथार्थ की बहुत सारी जटिलताओं को छोड़ती चल रही थी। तेजी से बदलने के लिए अकुलाते समाज के अधिकतम को पकड़ने के लिए जिस तरह की निगाह और भाषा-भंगिमा की ज़रूरत थी, अखिलेश ने उसे लगभग सबसे पहले सम्भव किया।

सत्ता और शक्ति की विभिन्न संरचनाओं को लगातार निर्मित और पोषित करने के अभ्यस्त हमारे मन-मस्त‌िष्क को अखिलेश ने अपनी विखंडनात्मक त्वरा से देखने का एक नया संस्कार दिया है। अखिलेश का कथाकार न सिर्फ़ मौज़ूदा यथार्थ को देखने में सफल रहा है बल्कि उसके आगामी तेवरों का संकेत भी दे पाया है।

यह संचयन कहानीकार के रूप में अखिलेश की विकास प्रक्रिया का ही नहीं, बीते क़रीब चार दशकों में एक संस्था के रूप में भारतीय समाज के बदलने-बढ़ने और बनने-टूटने के क्रम का भी साक्षी है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 1st
Pages 534p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 3.5
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Akhilesh

Author: Akhilesh

अखिलेश

जन्म : 23 ​सितम्बर, 1960; सुल्तानपुर (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य), इलाहाबाद विश्वविद्यालय।

प्रकाशित कृतियाँ : कहानी-संग्रह—‘आदमी नहीं टूटता’, ‘मुक्ति’, ‘शापग्रस्त’, ‘अँधेरा’। उपन्यास—‘अन्वेषण’; सृजनात्मक गद्य—‘वह जो यथार्थ था’। आलोचना—‘श्रीलाल शुक्ल की दुनिया’ (सं.)। सम्पादन—‘वर्तमान साहित्य’, ‘अतएव’ पत्रिकाओं में समय-समय पर सम्पादन। आजकल प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘तद्भव’ के सम्पादक। 'एक कहानी एक किताब' शृंखला की दस पुस्तकों के शृंखला सम्पादक। 'दस बेमिसाल प्रेम कहानियाँ' का सम्पादन।

अन्य : देश के महत्त्वपूर्ण निर्देशकों द्वारा कई कहानियों का मंचन एवं नाट्य-रूपान्तरण। कुछ कहानियों का दूरदर्शन हेतु फ़‍िल्मांकन। टेलीविज़न के लिए पटकथा एवं संवाद-लेखन। अनेक भारतीय भाषाओं में रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित।

पुरस्कार/सम्मान : ‘श्रीकान्‍त वर्मा सम्मान’, ‘इन्दु शर्मा कथा सम्मान’, ‘परिमल सम्मान’, ‘वनमाली सम्मान’, ‘अयोध्या प्रसाद खत्री सम्मान’, ‘स्पन्दन पुरस्कार’, ‘बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार’, ‘कथा अवार्ड’ आदि।

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