Shri Ramayana Mahanveshanam : Vols.1-2

Translator: Pradhan Gurudutt
Edition: 2014, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Shri Ramayana Mahanveshanam : Vols.1-2
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अतीत के दीपक से वर्तमान को प्रकाशित करने का प्रयत्न है ‘श्रीरामायण महान्वेषणम्’।

—नीरज जैन प्रतिष्ठित हिन्दी कवि, सतना (म.प्र.)

“I have no doubt that ‘Sri Ramayana Mahanveshanam’ will remain a milestone not only in the history of Kannada literature or Hindi literature, but in the history of Indian literature also. It is his distinct contribution to Ramayana literature.”

—Indira Goswami Professor, Modern Indian Languages & Literary Studies, Delhi University

‘‘मोइली जी को इतनी बड़ी साहित्यिक परियोजना पर सोचने के लिए, उसे पूरा करने के लिए, और भारतीय परम्परा में उसके उचित सन्निवेश के हेतु प्रयास करने के लिए बधाई देना चाहता हूँ...।

—डॉ. वागीश शुक्ल कवि, दार्शनिक, समालोचक तथा प्रोफ़ेसर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 1576p
Translator Pradhan Gurudutt
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 10
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M. Veerappa Moily

Author: M. Veerappa Moily

एम. वीरप्पा मोइली

 

जन्म : 12 फरवरी, 1940; कर्नाटक।

तटीय कर्नाटक में जन्मे एम. वीरप्पा मोइली एक प्रतिष्ठित राजनेता, कुशल प्रशासक, समाज-सुधारक, अर्थशास्त्री और प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। वकालत का पेशा अपनाने के बाद आप वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं। आप कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं। आपने कर सुधार आयोग व राजस्व सुधार आयोग, कर्नाटक सरकार के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (भारत सरकार) तथा ओवरसाइट कमिटी (भारत सरकार) के लिए भी आपने अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं।

भारत सरकार के क़ानून एवं न्यायमंत्री रहते हुए आपने न्यायपालिका में सुधार की एक दूरगामी प्रक्रिया आरम्भ की। आप सिद्ध लेखक हैं। आपने कन्नड़ और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में लेखन किया है।

आपकी प्रकाशित पुस्तकों में प्रमुख हैं—‘श्रीरामायण महान्वेषणम्’ (पाँच खंड); ‘म्यूजिंग्स ऑफ़ इंडिया’ (दो खंड); ‘कोट्टा’ (कन्नड़); ‘तेम्बरे’ (कन्नड़); ‘कविता-संग्रह’ (पाँच खंड); ‘सुलिगलि’ (कन्नड़ उपन्यास); ‘अनलेशिंग इंडिया—रोड मैप फ़ॉर अग्रेरियन वेल्थ क्रिएशन’; ‘अनलेशिंग इंडिया—वाटर एलेक्जिर ऑफ़ लाइफ’; ‘अनलेशिंग इंडिया—पावरिंग द नेशन’ एवं ‘अनलेशिंग इंडिया–—द फ़ायर ऑफ नॉलेज’।

आपके अब तक के लेखन में सबसे महत्त्वाकांक्षी कृति ‘श्रीरामायण महान्वेषणम्’ है जिसे भारतीय ज्ञानपीठ का सम्मानजनक ‘मूर्तिदेवी पुरस्कार’ प्राप्त हुआ।

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