भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास पर केन्द्रित वीरप्पा मोइली की पुस्तक श्ाृंखला का यह तीसरा खंड भारत के ऊर्जा-क्षेत्रा पर केन्द्रित है। देश को अधिकाधिक ऊर्जा-श्रम बनाने की योजनाओं, इस क्षेत्रा में जारी सुधारों और इस क्रम में सामने आ रही चुनौतियों को रेखांकित करते हुए यह पुस्तक ऊर्जा-संसाधनों के नियोजन, प्रबन्धन और विकास की सम्भावनाओं पर प्रकाश डालती है।
पुस्तक की विशेष उपलब्धि यह है कि इसमें ऊर्जा क्षेत्रा की मौजूदा और जमानों से चली आ रही खामियों और चुनौतियों के साथ-साथ उन प्रश्नों पर भी नजर डाली गई है जो भविष्य में हमारे सामने आ सकते हैं और जिनके लिए हमें आज ही तैयारी करनी होगी। साथ ही उन सम्भावनाओं की तरफ भी यह पुस्तक इशारा करती है जो इस क्षेत्रा में हमारे सामने मौजूद हैं।
लेखक के अनुसार, ‘सबके लिए ऊर्जा’ के संकल्प पर कटिबद्ध भारत के लिए यह आवश्यक है कि नई तकनीकी के विकास के साथ-साथ नई नीतियों का भी निर्माण हो। भारत के ऊर्जा-कार्यक्रम को आकार देने में रुचि रखनेवाले प्रत्येक पाठक के लिए उपयोेगी यह पुस्तक अपनी सम्यक् दृष्टि और विहंगम सोच के चलते विशिष्ट है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2014 |
Edition Year | 2014, Ed. 1st |
Pages | 176p |
Translator | Ramesh Kapoor |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.5 |