Atma Nirbhar Bharat : Vol. 2

Translator: Ramesh Kapoor
Edition: 2014, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Atma Nirbhar Bharat : Vol. 2
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लेखक, राजनेता और अर्थशास्त्राी वीरप्पा मोइली की प्रसिद्ध पुस्तक-श्ाृंखला ‘अनलेशिंग इंडिया’ का यह दूसरा खंड भारत के जल-संसाधनों और सिंचाई-व्यवस्था पर केन्द्रित है।
देश में उपलब्ध जल-संसाधनों के प्रबन्धन, नियोजन और विकास पर मौलिक समझ के साथ चर्चा करते हुए इस पुस्तक में लेखक ने पानी के सम्यक् उपयोग और उसकी सम्भावनाओं को नई दृष्टि से देखने का आह्वान किया है।
पुस्तक का फोकस मुख्यतः सिंचाई है, और अपने गहन विश्लेषण में वह इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि देश की प्रगति के लिए जल-संसाधनों का मितव्ययी और समान उपभोग बेहद जरूरी है। पुस्तक में जल-संसाधनों के सम्मुख उपस्थित वर्तमान और भावी चुनौतियों को रेखांकित किया गया है और उनसे निबटने की व्यावहारिक विधियों पर भी विचार किया गया है।
विषय के लिहाज से अत्यन्त समीचीन और प्रासंगिक यह पुस्तक छात्राों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं के लिए समान रूप से उपयोगी है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 192p
Translator Ramesh Kapoor
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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M. Veerappa Moily

Author: M. Veerappa Moily

एम. वीरप्पा मोइली

 

जन्म : 12 फरवरी, 1940; कर्नाटक।

तटीय कर्नाटक में जन्मे एम. वीरप्पा मोइली एक प्रतिष्ठित राजनेता, कुशल प्रशासक, समाज-सुधारक, अर्थशास्त्री और प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। वकालत का पेशा अपनाने के बाद आप वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं। आप कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं। आपने कर सुधार आयोग व राजस्व सुधार आयोग, कर्नाटक सरकार के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (भारत सरकार) तथा ओवरसाइट कमिटी (भारत सरकार) के लिए भी आपने अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं।

भारत सरकार के क़ानून एवं न्यायमंत्री रहते हुए आपने न्यायपालिका में सुधार की एक दूरगामी प्रक्रिया आरम्भ की। आप सिद्ध लेखक हैं। आपने कन्नड़ और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में लेखन किया है।

आपकी प्रकाशित पुस्तकों में प्रमुख हैं—‘श्रीरामायण महान्वेषणम्’ (पाँच खंड); ‘म्यूजिंग्स ऑफ़ इंडिया’ (दो खंड); ‘कोट्टा’ (कन्नड़); ‘तेम्बरे’ (कन्नड़); ‘कविता-संग्रह’ (पाँच खंड); ‘सुलिगलि’ (कन्नड़ उपन्यास); ‘अनलेशिंग इंडिया—रोड मैप फ़ॉर अग्रेरियन वेल्थ क्रिएशन’; ‘अनलेशिंग इंडिया—वाटर एलेक्जिर ऑफ़ लाइफ’; ‘अनलेशिंग इंडिया—पावरिंग द नेशन’ एवं ‘अनलेशिंग इंडिया–—द फ़ायर ऑफ नॉलेज’।

आपके अब तक के लेखन में सबसे महत्त्वाकांक्षी कृति ‘श्रीरामायण महान्वेषणम्’ है जिसे भारतीय ज्ञानपीठ का सम्मानजनक ‘मूर्तिदेवी पुरस्कार’ प्राप्त हुआ।

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