Pradhan Gurudutt
0 Books
प्रधान गुरुदत्त
डॉ. प्रधान गुरुदत्त जी (1938) मैसूर विश्वविद्यालय के कुवेम्पु कन्नड़ अध्ययन संस्थान (स्नातकोत्तर अध्ययन एवं अनुसन्धान विभाग) के पूर्व प्राध्यापक हैं। आपने मैसूर विश्वविद्यालय से एम.ए. (कन्नड़), एम.फ़िल्. (अनुवाद) तथा पीएच.डी. (हिन्दी) की उपाधियाँ प्राप्त की हैं। तुलनात्मक अध्ययन एवं अनुसंधान, आलोचना और अनुवाद आपकी विशेष अभिरुचि के विषय हैं। केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के पुरस्कार विजेताओं से सम्बन्धित आलोचनात्मक ग्रन्थों की मालिका—‘नव कर्नाटक साहित्य सम्पदा’—के आप सम्पादक भी हैं। अंग्रेज़ी, हिन्दी और कन्नड़ में आपके द्वारा रचित मौलिक, अनूदित, सम्पादित तथा आलोचनात्मक ग्रन्थों की संख्या 100 से ज़्यादा है।
मैसूर विश्वविद्यालय के ‘सुवर्ण महोत्सव अनुसन्धान पुरस्कार’ से लेकर, भारत सरकार के ‘हिन्दीतर भाषी हिन्दी लेखक पुरस्कार’ तथा ‘साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार’ सहित कई पुरस्कारों से आप सम्मानित किए जा चुके हैं।
कन्नड़ के प्रथम ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ विजेता कुवेम्पु जी के ‘श्री रामायण दर्शनम्’ का हिन्दी अनुवाद आपने किया जिसका प्रमोचन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा किया गया। नई सहस्राब्दी के प्रथम महाकाव्य होने का सम्मान जिसको प्राप्त हुआ है, वीरप्पा मोइली के इस ‘श्रीरामायण महान्वेषणम्’ का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत करने का गौरव भी अब आपको प्राप्त हुआ है।