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Atma Nirbhar Bharat : Vol. 4

Translator: Ramesh Kapoor
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(1) Reviews
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Atma Nirbhar Bharat : Vol. 4

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सन् 2001 में शिक्षा के अधिकार से सम्बन्धित विधेयक पारित होने और शिक्षा को मौलिक अधिकारों के रूप में मान्यता दिये जाने के चलते भारत का ‘हर व्यक्ति को शिक्षा’ का संकल्प एक निर्णायक यात्राा पूरी कर चुका है, फिर भी भारतीय शिक्षा-व्यवस्था में गहरे पैठी खामियों को समझने की चुनौती आज भी उतनी ही बड़ी है। यह सचमुच आश्चर्यजनक है कि उच्चशिक्षा के सन्दर्भ में विश्व की विशालतम शिक्षा-व्यवस्थाओं में शामिल भारत की ‘ड्रॉप आउट’ दर चिन्ताजनक है।
वीरप्पा मोइली की पुस्तक-श्ाृंखला ‘अनलेशिंग इंडिया’ का यह चैथा खंड भारतीय शिक्षा-व्यवस्था के ऐसे ही अनसुलझे सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश है। इस पुस्तक में लेखक ने भारत, चीन, अमेरिका, सिंगापुर और अन्य कुछ देशों की तुलना करते हुए कुछ सुझाव प्रस्तुत किए हैं जिनमें पाठ्यक्रम में व्यावहारिक प्रशिक्षण को जोड़ने, शिक्षा के आधारभूत ढाँचे के विस्तार तथा पाठ्यक्रमों और पाठ्यपुस्तकों में निवेश को बढ़ाए जाने पर जोर दिया गया है।
पुस्तक के अनुसार इस समय जबकि देश एक ज्ञान-समृद्ध राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है, शिक्षा-व्यवस्था की सघन पुनव्र्याख्या और शिक्षा तथा विकास के मध्य मौजूदा फासले को पाटने की बेहद जरूरत है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Ramesh Kapoor
Editor Not Selected
Publication Year 2014
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 240p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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M. Veerappa Moily

Author: M. Veerappa Moily

एम. वीरप्पा मोइली

 

जन्म : 12 फरवरी, 1940; कर्नाटक।

तटीय कर्नाटक में जन्मे एम. वीरप्पा मोइली एक प्रतिष्ठित राजनेता, कुशल प्रशासक, समाज-सुधारक, अर्थशास्त्री और प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। वकालत का पेशा अपनाने के बाद आप वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं। आप कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं। आपने कर सुधार आयोग व राजस्व सुधार आयोग, कर्नाटक सरकार के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (भारत सरकार) तथा ओवरसाइट कमिटी (भारत सरकार) के लिए भी आपने अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं।

भारत सरकार के क़ानून एवं न्यायमंत्री रहते हुए आपने न्यायपालिका में सुधार की एक दूरगामी प्रक्रिया आरम्भ की। आप सिद्ध लेखक हैं। आपने कन्नड़ और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में लेखन किया है।

आपकी प्रकाशित पुस्तकों में प्रमुख हैं—‘श्रीरामायण महान्वेषणम्’ (पाँच खंड); ‘म्यूजिंग्स ऑफ़ इंडिया’ (दो खंड); ‘कोट्टा’ (कन्नड़); ‘तेम्बरे’ (कन्नड़); ‘कविता-संग्रह’ (पाँच खंड); ‘सुलिगलि’ (कन्नड़ उपन्यास); ‘अनलेशिंग इंडिया—रोड मैप फ़ॉर अग्रेरियन वेल्थ क्रिएशन’; ‘अनलेशिंग इंडिया—वाटर एलेक्जिर ऑफ़ लाइफ’; ‘अनलेशिंग इंडिया—पावरिंग द नेशन’ एवं ‘अनलेशिंग इंडिया–—द फ़ायर ऑफ नॉलेज’।

आपके अब तक के लेखन में सबसे महत्त्वाकांक्षी कृति ‘श्रीरामायण महान्वेषणम्’ है जिसे भारतीय ज्ञानपीठ का सम्मानजनक ‘मूर्तिदेवी पुरस्कार’ प्राप्त हुआ।

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