Pratinidhi Kavitayein : Gagan Gill

Representative Poems
Author: Gagan Gill
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Pratinidhi Kavitayein : Gagan Gill
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गगन गिल की कविताओं की एक यात्रा स्पष्ट दिखाई देती है—बाहर से भीतर की ओर की। ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ शीर्षक उनका संग्रह अपने समय की एक घटना थी। हिन्दी के कविता-संसार ने उसे ख़ूब ही उत्साह से ग्रहण किया था। इस संग्रह की कविताओं ने भीतर से उदास लेकिन फिर भी संसार में अपनी जगह को लेकर पर्याप्त सजग एक लड़की की छवि को प्रकाशित किया। भीतर की वह उदासी, अकेलापन, अपने ‘होने’ और अपने एक ‘स्त्री होने’ का वह अहसास जैसे बड़ा होता गया; संसार का बाहरी शोर और दिल की थपक-थपक जैसे आमने-सामने खड़ी इकाइयाँ हो गईं। इस दौर में उन्होंने जो लिखा वह सृष्ट‌ि के पवित्रतम की खोज थी, जो मनुष्य के आत्म की कंदराओं में स्थित होता है। आकांक्षाओं से मुक्त, अपने होने की कील से बिंधा हुआ, सम्पूर्ण और व्यथित। इस चयन में उनकी पूरी चेतना-यात्रा को सुविचारित ढंग से सँजोया गया है—‘मैं जब तक आई बाहर’ संग्रह तक, जिसमें पीड़ा का संचार भीतर और बाहर दोनों तरफ़ होता है। देश और काल की पौरुषपूर्ण व्यवस्था के बीच स्त्री की सूक्ष्म असहमति और अपने दुःख को देखने का साक्षी भाव उनके संवेदनशील और सटीक शब्द-संयोजन में एक अव‌िस्मरणीय अनुभव की तरह अंकित होता है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 152p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 17.5 X 12 X 1
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Editorial Review

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Gagan Gill

Author: Gagan Gill

गगन गिल

सन् 1983 में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ कविता-शृंखला के प्रकाशित होते ही गगन गिल (जन्म : 1959, नई दिल्ली; शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी साहित्य) की कविताओं ने तत्कालीन सुधीजनों का ध्यान आकर्षित किया था। तब से अब तक उनकी रचनाशीलता देश-विदेश के हिन्दी साहित्य के अध्येताओं, पाठकों और आलोचकों के विमर्श का हिस्सा रही है।

लगभग 35 वर्ष लम्बी इस रचना-यात्रा की नौ कृतियाँ हैं—पाँच कविता-संग्रह : ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ (1989), ‘अँधेरे में बुद्ध’ (1996), ‘यह आकांक्षा समय नहीं’ (1998), ‘थपक थपक दिल थपक थपक’ (2003), ‘मैं जब तक आयी बाहर’ (2018); एवं चार गद्य पुस्तकें : ‘दिल्ली में उनींदे’ (2000), ‘अवाक्’ (2008), ‘देह की मुँडेर पर’ (2018), ‘इत्यादि’ (2018)। ‘अवाक्’ की गणना बीबीसी सर्वेक्षण के श्रेष्ठ हिन्दी यात्रा-वृत्तान्तों में की गई है।

सन् 1989-93 में ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह’ व ‘संडे ऑब्ज़र्वर’ में एक दशक से कुछ अधिक समय तक साहित्य-सम्पादन करने के बाद सन् 1992-93 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका में पत्रकारिता की नीमेन फैलो। देश-वापसी पर पूर्णकालिक लेखन।

सन् 1990 में अमेरिका के सुप्रसिद्ध आयोवा इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम में भारत से आमंत्रित लेखक। सन् 2000 में गोएटे इंस्टीट्यूट, जर्मनी व सन् 2005 में पोएट्री ट्रांसलेशन सेंटर, लन्दन यूनिवर्सिटी के निमंत्रण पर जर्मनी व इंग्लैंड के कई शहरों में कविता पाठ। भारतीय प्रतिनिधि लेखक मंडल के सदस्य के नाते चीन, फ्रांस, इंग्लैंड, मॉरिशस, जर्मनी आदि देशों की एकाधिक यात्राओं के अलावा मेक्सिको, ऑस्ट्रिया, इटली, तुर्की, बुल्गारिया, तिब्बत, कम्बोडिया, लाओस, इंडोनेशिया की यात्राएँ।

‘भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार’ (1984), ‘संस्कृति सम्मान’ (1989), ‘केदार सम्मान’ (2000), ‘हिन्दी अकादमी साहित्यकार सम्मान’ (2008), ‘द्विजदेव सम्मान’ (2010), ‘अमर उजाला शब्द सम्मान’ (2018) से सम्मानित।

ई-मेल : gagangill791@hotmail.com

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