दर्द को लेकर/दुनिया बेहिस हो चुकी है/सूरज की आँखों में सूराख़ हो गया है। और दुनिया!/दुनिया मेरे ख़ुदा!/उसने एक भी शमा रौशन नहीं की/उसने आँसुओं की बूँद भी नहीं गिराई/जो धो डालती/यरुशलेम के ज़ख़्मी बदन को।
इस संचयन में संकलित फ़िलिस्तीनी कवयित्री फ़दवा तूकान के लिए इज़रायली रक्षामंत्री मोशे दयान ने कहा था कि इसकी एक-एक पंक्ति बीस कमांडो पर भारी पड़ती है। ये पंक्तियाँ उन्हीं की हैं जो आज नए सिरे से प्रासंगिक हो उठी हैं। बरसों से जारी इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष इस समय एक ख़ूँख़्वार मोड़ पर है। रोज सैकड़ों लोग, बच्चे और औरतें क़त्ल हो रहे हैं।
कहानियों, कविताओं, साहित्यिक-राजनीतिक आलेखों, साक्षात्कारों और टिप्पिणयों का यह संकलन इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष और उसकी सामाजिक-मानवीय परिणतियों का एक पूरा ख़ाका प्रस्तुत कर देता है।
फ़िलिस्तीन और इज़रायल की राजनीति, समाज और साहित्य पर केन्द्रित पुस्तक के तीन अलग-अलग खंडों में हम यहूदियों और अरब फ़िलिस्तीनियों, दोनों के हालात को सम्पूर्णता में समझ सकते हैं। चौथे खंड में नासिरा जी ने अपनी वे रचनात्मक और विश्लेषणात्मक चीज़ें यहाँ प्रस्तुत की हैं जिनसे इन दोनों क़ौमों से सम्बन्धित हर जिज्ञासा का समाधान हो जाता है।
‘फ़िलिस्तीन : एक नया कर्बला’ कह सकते हैं कि इज़रायल और फ़िलिस्तीन समस्या का एक सम्पूर्ण अध्ययन है, जिसमें इसके राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक और भावनात्मक पहलुओं को बारीक़ी से समझा जा सकता है।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2024 |
Edition Year | 2024, Ed. 1st |
Pages | 272p |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.5 |