Nithalle Ki Diary

As low as ₹199.00 Regular Price ₹199.00
In stock
Only %1 left
SKU
Nithalle Ki Diary
- +

हरिशंकर परसाई हिन्दी के अकेले ऐसे व्यंग्यकार रहे हैं जिन्होंने आनन्द को व्यंग्य का साध्य न बनने देने की सर्वाधिक सचेत कोशिश की। उनकी एक-एक पंक्ति एक सोद्देश्य टिप्पणी के रूप में अपना स्थान बनाती है। स्थितियों के भीतर छिपी विसंगतियों के प्रकटीकरण के लिए वे कई बार अतिरंजना का आश्रय लेते हैं, लेकिन, तब भी यथार्थ के ठोस सन्दर्भों की धमक हमें लगातार सुनाई पड़ती रहती है। लगातार हमें यह एहसास होता रहता है कि जो विद्रूप हमारे सामने प्रस्तुत किया जा रहा है, उस पर सिर्फ दिल खोलकरहँसने की नहीं, थोड़ा गम्भीर होकर सोचने की हमसे अपेक्षा की जा रही है। यही परसाई के पाठ की विशिष्टता है।

निठल्ले की डायरीमें भी उनके ऐसे ही व्यंग्य शामिल हैं। आडंबर, हिप्पोक्रेसी, दोमुँहापन और ढोंग यहाँ भी उनकी क़लम के निशाने पर हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1999
Edition Year 2022, Ed. 6th
Pages 140p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Nithalle Ki Diary
Your Rating
Harishankar Parsai

Author: Harishankar Parsai

हरिशंकर परसाई

22 अगस्त, 1924 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी गाँव में जन्मे हरिशंकर पारसाई का आरंभिक जीवन कठिन संघर्ष का रहा । पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच नागपुर विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. किया और फिर 'डिप्लोमा इन टीचिंग' का कोर्स भी ।

आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं -- हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे (कहानी-संग्रह); रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज (उपन्यास); तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, वैष्णव की फिसलन, पगडंडियों का ज़माना, शिकायत मुझे भी है, सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, तुलसीदास चंदन घिसैं, हम इक उम्र से वाकिफ  हैं, जाने -पहचाने लोग, कहत कबीर, ठिठुरता हुआ गणतंत्र (व्यंग्य निबंध-संग्रह); पूछो परसाई से (साक्षात्कार)।

‘परसाई रचनावली’ शीर्षक से छह खंडों में आपकी सभी रचनाएँ संकलित हैं ।

आपकी रचनाओं के अनुवाद लगभग सभी भारतीय भाषाओँ और अंग्रेजी में हुए हैं ।

आपको केन्द्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार, मध्य प्रदेश के शिखर सम्मान आदि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।

निधन : 10 अगस्त, 1995

Read More
Books by this Author
Back to Top